Mumbai News: मुंबई के अक्सा बीच की लॉज पर तीन धोखेबाजों ने की थी फर्जी छापेमारी, कप्लस से की थी इतने रुपये की डिमांड
मुंबई के अक्सा बीच पर एक लॉज में एक शख्स सहित दो महिलाओं ने गैंग बनाकर पिछले दिनों छापा मारा था. इन तीनों ने खुद को एंटी करप्शन अधिकारी बताते हुए कपल्स से 5 -5 हजार रुपये की डिमांड की थी.
Mumbai Crime News: मुंबई से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. दरअसल यहां एक पुरुष और दो महिलाओं ने एंटी करप्शन के अधिकारी बनकर पिछले हफ्ते अक्सा समुद्र तट पर एक लॉज पर छापा मारा और वहां रहने वाले युवा जोड़ों से अपने माता-पिता को सूचित करने की धमकी देकर पैसे की मांग की थी. हालांकि, लॉज मालिक को शक हुआ और उसने मालवानी पुलिस को सूचित कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर फर्जी अधिकारी बनकर आए तीनों आरोपियों की जबरन वसूली की योजना को विफल कर दिया.
दोनों आरोपी महिला हो गई थीं फरार
पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान मनोज कुमार रामसय्या सिंह, अनीता वर्मा और काजिया खान के रूप में हुई है, वे एनजीओ एंटी करप्शन कमेटी ऑफ इंडिया से जुड़े हुए हैं चूंकि घटना शाम को हुई थी, पुलिस केवल 14 जुलाई को युवक को ही गिरफ्तार कर सकी थी और खान और वर्मा को जाने दिया गया था लेकिन दोनों महिलाओं को अगले दिन थाने में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया था हालांकि वे फरार हो गई थी.
आरोपियों ने कपल्स के परिजनो को सूचना देने की धमकी दी थी
पुलिस बताया कि मनोज कुमार रामसय्या सिंह और अनिता वर्मा पुणे के रहने वाले हैं, जबकि खान मलाड के मालवानी में आजमी नगर में रहती है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, लॉज में फर्जी छापेमारी के दौरान तीनों ने मालिकों के साथ ग्राहकों का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने कपल्स को उनके कमरे से बाहर निकाल दिया, उनके माता-पिता के फोन नंबर मांगे और उन्हें सूचित करने की धमकी दी थी.
आरोपियों ने सभी कपल्स से 5 हजार रुपये की डिमांड की थी
इसके बाद उन्होंने डरे हुए कपल्स और लॉज मालिक से प्रत्येक से 5,000 रुपये की डिमांड की थी. हालांकि, वह उनके जाल में नहीं फंसे थे. दरअसल लॉज मालिक ने पुलिस को खबर कर दी थी. जिसके बाद सीनियर इंस्पेक्टर शेखर भालेराव के नेतृत्व में असिस्टेंट इंस्पेक्टर नीलेश सालुंखे और उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर तीनों को हिरासत में ले लिया. सिंह फिलहाल पुलिस हिरासत में है. पुलिस को संदेह है कि यह उनका जबरन वसूली का पहला प्रयास नहीं था.
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