Job News: महाराष्ट्र के मुंबई सड़क विकास निगम को सी लिंक के लिए कोई टोल ऑपरेटर नहीं मिल रहा है. ऐसे में प्रशासन को बांद्रा-वर्ली सी लिंक से गुजने वाले वाहनों से टोल वसूली के लिए पुराने ऑपरेटरों पर ही निर्भर होना पड़ रहा है. हालांकि 2020 में ही पुराने टोल ऑपरेटरों का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो चुका है.


एमएसआरडीसी को नहीं मिल रहा है टोल ऑपरेटर


जहां पहले कोरोना प्रतिबंधों का हवाला देकर कोई भी कंपनी सी लिंक का टोल कलेक्शन का काम संभालने के लिए आगे नहीं आ रह थी तो वहीं अब जब कोरोना प्रतिबंध हट चुके हैं और पहले की तरह ही वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो गई है तो भी एमएसआरडीसी को टोल ऑपरेटर नहीं मिल रहा है.


टोल कलेक्शन का अनुभव रखने वाली कंपनी कर सकती हैं अप्लाई


वहीं एक बार फिर एमएसआरडीसी ने टेंडर जारी कर सी लिंक के लिए टोल ऑपरेटर तलाशने की कवायद शुरू कर दी है. गौरतलब है कि देश की कोई भी कंपनी जिसे टोल ऑपरेशन का एक्सपीरियंस है वह सी लिंक के लिए टोल कलेक्शन का टेंडर प्राप्त करने के लिए अप्लाई कर सकती है. टोल वसूली का काम कंपनी को तीन साल के लिए दिया जाएगा. बता दें कि टेंडर भरने वाले आवेदक को 6.92 करोड़ रुपये की गारंटी और 17.30 करोड़ रुपये की सिक्योरिटी मनी भी जमा करवाना होगी.


2010 में सी लिंक का निर्माण किया गया था


बता दे कि सी लिंक का निर्माण साउथ मुंबई से उपनगर तक आवाजाही को आसान बनाने के लिए 2010 में किया गया था. सामान्य दिनों में सी लिंक से रोज 35 हजार से 50 हजार वाहन गुजरते हैं. सी लिंक के निर्माण के बाद से टोल टैक्स वसूली का टेंडर तीन-तीन सालों के लिए ठेकेदार को दिया जाता था. वहीं कोरोना के दौरान टेंजर जारी किए जाने के बाद भी कोई प्रतिसाद नहीं मिलने पर एमएमआरडीए ने 19 साल के लिए टोल वसूली के राइट्स देने की प्लानिंग की थी. दरअसल निगम को ये उम्मीद थी कि लंबे समय का टेंडर होने से आसानी से ठेकेदार मिल जाएगा लेकिन टेंडर को अच्छा प्रतिसाद नहीं मिला जिसके बाद एक बार फिर निगम ने 3-3 साल का टेंडर जारी किया है.


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