Lumpy Virus: लम्पी संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मुंबई पुलिस ने उठाया बड़ा कदम, लगाए ये प्रतिबंध
मुंबई में भी लम्पी संक्रमण के फैलने के खतरे को देखते हुए शहर की पुलिस ने पशुओं के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं आदेश का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.
Lumpy Virus: देश भर में लम्पी वायरस (Lumpy Virus) का कहर बढ़ता जा रहा है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में भी लम्पी संक्रमण ने पशुओं को अपनी चपेट में ले लिया है. राज्य के 25 जिलों में अब तक लम्पी संक्रमण ने 126 मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया है. वहीं इस खतरनाक वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अब मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने एहतियातन कई प्रतिबंध जारी कर दिए हैं.
मुंबई में पशुओं के परिवहन पर रोक
बता दें कि मुंबई पुलिस ने लम्पी रोग को फैलने से रोकने के लिए शहर में पशुओं के परिवहन पर रोक लगा दी है. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस संबंध में 14 सितंबर को एक आदेश जारी किया और यह 13 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा. अधिकारी ने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा.
मुंबई पुलिस कमिश्नर ने जारी किया है ये आदेश
मुंबई पुलिस कमिश्नर ने आदेश जारी कर प्रतिबंध लगाए हैं. आदेश के अनुसार पशुओं में संक्रमण, संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 2009, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144, दिनांक 23/02/1959 के आदेश के अनुसार, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 10(2) के तहत बृहन्मुंबई के पूरे जिलों को लम्पी संक्रमण (ढेलेदार त्वचा रोग) के लिए एक नियंत्रित क्षेत्र के रूप में घोषित किया है. इसके तहत कोई भी नियंत्रित क्षेत्र से उक्त प्रभावित गोजातीय प्रजातियों को जीवित या मृत जानवरों, पशुओं के परिवहन नहीं कर सकता है. प्रतिबंध 14 सितंबर से 13 अक्टूबर तक लागू रहेंगे.
लंपी वायरस के लक्षण क्या हैं
आम तौर पर लंपी संक्रमित पशुओं की स्किन पर गांठें पड़ जाती है फिर उनमें पस पड़ जाता है. घाव आखिर में खुजली वाली पपड़ी बन जाते हैं, जिस पर वायरस महीनों तक बना रहता है. यह वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी पाया जा सकता है. इसके अलावा, पशुओं की लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना, वायरस के अन्य लक्षण हैं.
लंपी वायरस का क्या है इलाज
अभी तक इस बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन पूर्वी अफ्रीका के देश केन्या में शीप पॉक्स और गोट पॉक्स के लिए बने टीके कैपरी पॉक्स के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल किए जाते है. चूंकि कैपरी पॉक्स वायरस सिंगल सीरोटाइप होता है इसलिए वैक्सीन का असर लंबा चलता है. पशुओं में बीमारी फैलने पर उन्हें प्रथक रखने की सलाह दी जाती है. भारत में इस वायरस के लिए पशुओं के गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है.