Mumbai Potholes: मुंबई की सड़कों के गड्ढे भरने के लिए BMC ने बनाया ये प्लान, अब तक हो जा चुके हैं ये चार टेस्ट
Mumbai की सड़कों के गड्ढे भरने के लिए बीएमसी ने अब नए उपायों के टेस्ट करने शुरू कर दिए हैं. शुक्रवार को चार जगहों पर बीएमसी ने गड्ढे भरने के चार उपाय आजमाए.
Mumbai Roads: मुंबई की सड़के गड्ढ़ों से भरी हुई हैं जिनकी वजह से आवाजाही में तो दिक्कतें आती ही हैं वहीं कई बार ये गड्ढ़े बड़ी दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं. इधर शहर में डामर सड़कों पर गड्ढों को भरने के लिए, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) सालों से कोल्ड मिक्स टेक्निक का इस्तेमाल कर रही है. इसके लिए बीएमसी को अक्सर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में शुक्रवार को मुंबई की सड़कों के गड्ढों को भरने के लिए बीएमसी ने कई वैकल्पिक तरीकों का टेस्ट किया. इनमें रैपिड हार्डनिंग सीमेंट, पेवर ब्लॉक, जियो-पॉलीमर मिक्स और प्री-कास्ट कंक्रीट और स्टील प्लेट शामिल हैं.
बीएमसी ने गड्ढ़े भरने के लिए पहला टेस्ट क्या किया
बता दें कि शुक्रवार को ईस्टर्न फ्रीवे के अंडर एक सड़क पर तीन साइट्स पर गड्ढे भरने के चार उपाय आजमाए गए. दया शंकर चौक से एमबीपीटी टोल के बीच पूर्वी हाईवे के नीचे की सड़क पर, नागरिक निकाय ने गड्ढे को भरने के लिए तेजी से सख्त कंक्रीट फैलाए. इस साइट पर, पैच को जनता के लिए फिर से खोलने से पहले छह घंटे के लिए बैरिकेडिंग की जरूरत पड़ी.
बीएमसी ने दूसरे टेस्ट में एम-60 कंक्रीट का इस्तेमाल किया
उसी सड़क पर अगले गड्ढे के लिए बीएमसी ने एम-60 कंक्रीट का इस्तेमाल किया. लेकिन गड्ढों को भरकर स्टील की प्लेट लगाई गई और उसे यातायात के लिए खोल दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि एम-60 कंक्रीट का उपयोग करने के बाद छह दिनों के लिए एक सड़क को बंद रखना पड़ता है, इसलिए क्षेत्र को कवर करने के लिए एक स्टील प्लेट का इस्तेमाल किया गया था क्योंकि इस सड़क को इतने लंबे समय तक बंद नहीं रखा जा सकता था.
गड्ढे भरने के लिए तीसरा और चौथा टेस्ट क्या रहा?
तीसरी टेक्निक जियो-पॉलीमर मिक्स थी. यह रेत, पत्थर और पॉलीमर का एक कॉम्बिनेशन था. इसके इस्तेमाल के बाद दो घंटे के अंदर सड़क को यातायात के लिए खोला जा सकता है. वहींचौथे स्थान पर गड्ढों को भरने के लिए पेवर ब्लॉक का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन यह एक अस्थायी व्यवस्था है और बीएमसी भारी बारिश के दौरान गड्ढों को भरने के लिए पेवर ब्लॉक का उपयोग करती है.
बीएमसी कब से कोल्ड-मिक्स का इस्तेमाल कर रही है ?
बता दें कि बीएमसी 2018-19 से गड्ढों को भरने के लिए कोल्ड-मिक्स सामग्री का इस्तेमाल कर रही है लेकिन इस मैथड की सफलता पर सवाल उठाया गया है. सड़क और यातायात विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कोल्ड मिक्स का इस्तेमाल करके गड्ढों की मरम्मत के बाद, इसे स्थिर करने के लिए कम से कम 12 घंटे की आवश्यकता होती है (शुष्क अवधि में) और यातायात को रोकना पड़ता है.
एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर ने अधिकारियों को दिए थे ये निर्देश
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर पी वेलरासु, नागरिक सड़क विभाग के प्रभारी, ने नागरिक अधिकारियों की एक टीम के साथ पश्चिमी उपनगरों अंधेरी, जुहू, मलाड, कांदिवली और बोरीवली में विभिन्न सड़कों और गड्ढों को भरने के काम का निरीक्षण किया था. वेलरासु ने अधिकारियों को मानसून के दौरान गड्ढों को भरने के लिए वैकल्पिक तंत्र की जांच करने का निर्देश दिया था क्योंकि भारी बारिश के दौरान कोल्ड मिक्स तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
इस साल बीएमसी ने 12 हजार से ज्यादा गड्ढे भरे
बता दें कि हर साल, मानसून के दौरान नागरिक निकाय औसतन 11,000 मीट्रिक टन गड्ढों के मिश्रण का इस्तेमाल करती है. डाटा से पता चलता है कि इस साल, बीएमसी ने 1 हजार 258 मीट्रिक टन कोल्ड मिक्स का उपयोग करके 12 हजार 200 से ज्यादा गड्ढों को भरा है.
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