Mumbai Road Accident: सड़क दुर्घटनाओं के मामले में मुंबई शहर अव्वल, 2021 में रोड एक्सीडेंट में 11 फीसदी का इजाफा
Mumbai Road Accident: मुंबई शहर सड़क दुर्घटनाओं के मामले में टॉप पर है. यहां 2021 में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में 11 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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Mumbai Road Accident: मुंबई शहर में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में 2021 में 11% की वृद्धि हुई, जबकि महाराष्ट्र में पांच वर्षों में इस तरह की मौतों की संख्या सबसे अधिक देखी गई. पिछले साल राज्य भर में सड़कों पर हर दिन 37 मौतें हुईं, यानी हर दो घंटे में तीन मौतें हुई, जोकि हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा हैं.
मुंबई में 2021 में मृत्युदर बढ़ी
बता दें कि मुंबई शहर में, 2020 की तुलना में 2021 में मृत्यु दर बढ़ी है. ये 349 से 387 तक हो गई है. इसी के साथ मुंबई सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं (2,230) के साथ नंबर 1 पर है. जबकि नासिक ग्रामीण 2021 में सबसे अधिक मृत्यु (862) के लिए चार्ट में सबसे ऊपर रहा. गौरतलब है कि सड़क दुर्घटनाओं का पहला कारण तेज रफ्तार था, इसके बाद शराब पीकर गाड़ी चलाना और लेन काटना भी सड़क दुर्घटनाओं की वजह रहे. परिवहन विभाग ने इस संबंध में सोमवार को आंकड़े जारी किए थे.
दुर्घटनाओं को कम करने के किए जा रहे उपाय
राज्य परिवहन आयुक्त अविनाश ढकने ने कहा कि विभाग का मिशन "पांच वर्षों में राज्य भर में मृत्यु दर को 50% तक कम करना" था. दुर्घटनाओं को कम करने के लिए, ढकने ने अपनी टीम को शहर के साथ-साथ राज्य भर में ब्लैक स्पॉट - दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है. विभाग ने यूनाइटेड वे मुंबई जैसे गैर सरकारी संगठनों से भी मदद मांगी है, जो वर्तमान में 35 ब्लैक स्पॉट (58 में से) पर एक स्टडी कर रहा है और इस साल स्पीड को कम करने और दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय कर रहा है. यूडब्ल्यूएम के एक सूत्र ने कहा, "हम जल्द ही एक रिपोर्ट लेकर आएंगे जो दुर्घटनाओं को कम से कम करने के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव देगी, और इन्हें पूरे महाराष्ट्र में सभी दुर्घटना-संभावित स्थानों पर लागू किया जा सकता है."
दोपहिया सवारों / पैदल चलने वालों की सुरक्षा पर भी दिया जा रहा खास ध्यान
आरटीओ सूत्रों ने कहा कि दोपहिया सवारों / पैदल चलने वालों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि हर साल लगभग 47% मौतों में पैदल यात्री और बाइक सवार शामिल होते हैं. परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले दो साल में कोविड लॉकडाउन के दौरान ट्रैफिक कम होने के कारण लोग तेज रफ्तार से जा रहे थे. जब लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद यातायात की स्थिति नियमित हो गई, तो उल्लंघन जारी रहा, अधिकांश दुर्घटनाएं रात के दौरान होती थीं (आमतौर पर चौराहों पर मौतें होती थीं). विशेषज्ञों ने चौराहों के करीब स्पीड को कम करने के उपायों की जरूरत का सुझाव दिया.
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