Gateway of India: मुंबई का गेटवे ऑफ इंडिया जल्द नए रंग-रूप में आएगा नजर, जानिए- BMC ने क्या बनाई है योजना
मुंबई का बेहद फेमस पर्यटक स्थल गेटवे ऑफ इंडिया जल्द ही नए रंग रूप में नजर आएगा. बीएमसी ने 14 करोड़ रुपये की लागत से इस हैरिटेज स्मारकर को रीडिजाइन करने की योजना बनाई है.

Gateway of India: मुंबई का हैरिटेज मॉन्यूमेंट गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) जल्द ही अलग रंग-रूप और अंदाज में नजर आएगा. दरअसल बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने दक्षिण मुंबई स्थित गेटवे ऑफ इंडिया को फिर से डिजाइन करने की योजना बनाई है. बता दें कि गेटवे ऑफ इंडिया, ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया, शहर के सबसे पॉपुलर टूरिस्ट प्लेसों में से एक है. यहां वीकेंड और पब्लिक हॉलीडे पर लोगों की भीड़ लगी रहती है.
गेटवे ऑफ इंडिया के रीडिजाइनिंग की क्या है अनुमानित लागत
गेटवे ऑफ इंडिया को रीडिजाइन करने में 14 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस प्रोजेक्ट के तहत वर्तमान में मौजूद टिकटिंग काउंटर, शौचालय ब्लॉक और सिक्योरिटी चौकी को ध्वस्त कर दोबारा नया डिज़ाइन दिये जाने की उम्मीद है.परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य ये है कि इसके चारों और घूमने के लिए ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आएं. बीएमसी के हेरिटेज सेल के संजय सावंत ने कहा कि उन्हें पिछले साल मुंबई हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी (एमएचसीसी) से एनओसी मिली थी और अब कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है
गेटवे ऑफ इंडिया के रीडिजाइनिंग का क्या है उद्देश्य
अधिकारी ने कहा, "प्रोजेक्ट के तहत योजना एक छोटे कंस्ट्रक्शन की है जो एक ही स्थान पर सभी सुविधाओं को पूरा करेगी. साथ ही, कई बिजली के खंभे हटा दिए जाएंगे और हमारी योजना केवल एक है जो पूरे स्ट्रक्चर के चारों ओर पर्याप्त मात्रा में लाइटिंग मुहैया कराएगी. इसके अलावा गेटवे ऑफ इंडिया के रीडिजाइनिंग के तहत, हमारा एक लक्ष्य ये भी है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हर तरफ से स्पष्ट रूप से दिखाना है."
कब तक शुरू होगा गेटवे ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट का काम
गेटवे ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट पर एक महीने में काम शुरू होने की संभावना है. बता दें कि हैरिटेज स्ट्रक्चर और उसके पास का 100 मीटर क्षेत्र राज्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है, जबकि घाट और नौका विहार क्षेत्र मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के अंतर्गत आता है. इसके बाहर का क्षेत्र बीएमसी के अंतर्गत आता है, जिसमें प्लाजा एप्रोच पाथवे शामिल हैं. एमएचसीसी, जिसने परियोजना को अपनी मंजूरी दी, ने कहा है कि प्रस्तावित संरचनाओं को पदचिह्न और उपस्थिति के मामले में यथासंभव न्यूनतम रखा जाना चाहिए.
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