Mumbai Swine Flu: मुंबई महानगर में स्वाइन फ्लू या इन्फ्लुएंजा H1N1 का खतरा बढ़ता जा रहा है. पिछले दो सालों के मुकाबले इस साल शहर में स्वाइन फ्लू के मामलों में काफी इजाफा हुआ है.इसी को देखते हुए बीएमसी ने मंगलवार को हाई रिस्क ग्रुप वाले उन लोगों को जिनमें सांस फूलना और सीने में दर्द जैसे एडवांस लक्षण दिख रहे हैं उन्हें डॉक्टर की सलाह लेने और यहां तक ​​​​कि अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा है.


जुलाई में 62 मामले किए गए दर्ज


मुंबई में इन्फ्लूएंजा H1N1 (पूर्व में स्वाइन फ्लू) के 66 मामलों की पुष्टि हुई है जो 2021 के 64 और 2020 के 44 केसों के आंकड़े को पार कर गए हैं. गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू के मामलों में ये इजाफा जुलाई महीने में हुआ है, जिसमें अकेले इस महीने 66 मामलों में से 62 मामले दर्ज किए गए हैं.


डॉक्टरों के मुताबिक इन्फ्लूएंजा H1N1 मामलों की संख्या है ज्यादा


टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों का कहना है कि आधिकारिक संख्या वास्तविक संख्या को नहीं दर्शा रही है. क्योंकि टेस्टिंग और रिपोर्टिंग दोनों लिमिटेड हैं. परेल के केईएम अस्पताल की डीन डॉ संगीता रावत ने कहा कि वे रोजाना एच1एन1 के लगभग पांच से छह पॉजिटिव मामले देख रहे हैं. वहीं हिंदुजा अस्पताल, खार में क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ भारेश डेढिया के अनुसार, संक्रमण बढ़ रहा है. उन्होंने खुद पिछले कुछ हफ्तों में 30 लैब-कन्फर्म केस देखे हैं. उनमें से 7-8 गंभीर मामलों में फेफड़ों और अन्य जटिलताओं के शामिल होने के कारण अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी. चेस्ट फिजिशियन डॉ सुजीत राजन ने कहा कि शुरुआती दिनों में कोविड-19 और एच1एन1 के बीच अंतर करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.


बीएमसी ने दी ये सलाह


क्या करें और क्या न करें की लिस्ट बनाते हुए बीएमसी ने कहा कि एच1एन1 आमतौर पर बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त जैसे लक्षणों के साथ आता है, जो इलाज के बाद कम हो जाते हैं. कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी मंगला गोमारे ने कहा, "हालांकि, अगर हाई रिस्क ग्रुप वाले लोगों, जैसे कि गर्भवती महिलाएं या डायबीटिज या हाईपरटेंशन वाले लोगों में सांस फूलना, सीने में दर्द, उल्टी में खून, नाखूनों का नीला पड़ना जैसे अतिरिक्त लक्षण दिखते हैं तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है."  


वहीं डॉक्टरों के मुताबिक मामलें को ज्यादा पता इसलिए नहीं चल पा रहा है क्योंकि इसकी टेस्टिंग ज्यादातर सार्वजनिक अस्पतालों में नहीं है, और निजी क्षेत्र में परीक्षण की लागत 2,000-5,000 रुपये है. हालांकि कस्तूरबा अस्पताल में नि:शुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है.


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