Mumbai News: मुंबई में अहमदाबाद के 8 महीने के बच्चे की बची जान, टोटल रोबोटिक लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई
मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में टोटल रोबोटिक लिवर ट्रांसप्लांट ने बचाई आठ महीने के बच्चे की जान. रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम सर्जरी में तेजी से होती है रिकवरी कम होता है रिस्क. मां ने किया लिवर दान
Mumbai News: मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में टोटल रोबोटिक लिवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन की मदद से अहमदाबाद के 8 महीने के बच्चे की जान बचाई गई. पश्चिमी भारत में इस तरह की यह पहली सर्जरी हुई है. अस्पताल अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि टोटल रोबोटिक सर्जिकल टीम का नेतृत्व गौरव चौबल ने किया है. उन्होनें बताया कि छोटा बच्चे मोहम्मद ए.के. जुफना, क्रिगलर नज्जर सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है.
उसके बड़े भाई की पहले ही इसी बीमारी के कारण मौत हो गई थी. यह बच्चा पीलिया, दस्त, उल्टी, बार-बार बुखार से पीड़ित था और उसे तत्काल प्रत्यारोपण के लिए मुंबई के परेल स्थित ग्लोबल अस्पताल में ले जाया गया था. जिसके बाद उसकी सभी जांच की गई जिसमें बच्चे की मां ने अपने छोटे बेटे को बचाने के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान करने का फैसला लिया साथ ही डाक्टर चौबल ने कहा कि यह एक पूर्ण रोबोटिक डोनर हेपेटेक्टोमी ने खुली सर्जरी में सामान्य उल्टे एल-आकार के कट के बजाय कमर के नीचे एक बहुत छोटे निशान जैसे लाभ की पेशकश की है.
रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम सर्जरी में तेजी से होती है रिकवरी
चौबल ने कहा, की रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम हाई लेवल तकनिकि और नियंत्रण प्रदान करता है, ये रक्त की कमी को कम करता है, और संक्रमण के जोखिम को भी कम करता है, पोस्टऑपरेटिव दर्द और पेट की दीवार हर्निया के अलावा जटिलता को कम करता है. उन्होंने कहा कि इस सर्जरी में रिकवरी तेजी से होती है, और सर्जरी के बाद तीसरे दिन लिवर डोनर को छुट्टी दे दी जाती है, जबकि खुली सर्जरी में डोनर को कम से कम 6 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है.
ग्लोबल हॉस्पिटल्स के सीईओ डॉ. विवेक तलौलीकर ने कहा कि यह पहला रोबोट डोनर हेपेटेक्टोमी किया गया था, जिसे दा विंची शी सिस्टम के साथ पश्चिमी भारत में पहले प्रयास में ही सफल किया गया.
मां ने लिवर का हिस्सा दान कर बचाई अपने बेटे की जान
बच्चे के पिता अब्दुल कादर जुफना ने कहा, की "हमारे पहले बच्चे की दुर्लभ बीमारी होने के कारण पहले ही मौत हो चुकी है. हमारे दूसरे बच्चे की मेरी पत्नी ने अपने लिवर का एक हिस्सा दान करके हमारे दूसरे बच्चे की जान बचाई है. साथ ही पूरी मेडिकल टीम को धन्यवाद देते हैं.
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