Nagpur News: 5 दिनों से ‘हाई पावर ट्रांसमिशन टावर’ पर फंसे हुए हैं 7 लंगूर, निकालने की कोशिशें जारी
बांस से बनी चादरों, डंडियों के जाल, पेड़ों की सूखी शाखाओं से बाढ़ के पानी के ऊपर 200 मीटर लंबा कृत्रिम पुल बनाया गया है. उम्मीद है कि लंगूर टावर से उतरकर पुल के जरिए पानी के पार आ जाएंगे.
Nagpur Latest News: नागपुर जिले के महुर्जरी गांव में सात लंगूर पांच दिनों से एक ‘हाई पावर ट्रांसमिशन टावर’ पर फंसे हुए हैं, क्योंकि आसपास पानी भरे होने के कारण वे टावर से उतर नहीं पा रहे हैं. अब बचाव दल ने उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए टावर के पास एक कृत्रिम पुल बनाया है. वन अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि लंगूरों को निकालने की कोशिश जारी है. उन्हें रस्सियों और नौका की मदद से भी निकालने की कोशिश की गई थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.
बांस से बनी चादरों, डंडियों के जाल से बनाया पुल
राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड के सदस्य कुंदन हैत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बांस से बनी चादरों, डंडियों के जाल, पेड़ों की सूखी शाखाओं और खाली ड्रमों से बाढ़ के पानी के ऊपर 200 मीटर लंबा कृत्रिम पुल बनाया गया है. बचाककर्मी उम्मीद कर रहे हैं कि लंगूर टावर से उतरकर, इस पुल के जरिये पानी के पार आ जाएंगे. लंगूरों को निकालने के लिए वन विभाग, नागपुर नगर निगम की अग्निशमन इकाई, राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड और यहां के जंगली जानवरों के ‘ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर’ के कर्मी संयुक्त रूप से प्रयास कर रहे हैं.
लंगूरों के बारे में जानिए
बता दें कि लंगूर कद में बंदरी से कुछ बड़ा लगभग दो फुट का होता है, लेकिन इसकी दुम इसके शरीर से लंबी रहती है. लंगूर एक जगह से दूसरी जगह छलांग लगाते हुए अगर पहुंचने में असमर्थ हो जाऐ तो अपनी पूंछ के सहारे जमीन पर पांव रखे बिना अपने पूर्व के स्थान पर वापस आ जाता है. इसके शरीर का रंग सिलेटी और अयाल भूरा होता है जो ऊपर की ओर गाढ़ा और नीचे की ओर हलका रहता है. चेहरे, कान, तलुए और हाथ-पैर का बाहरी हिस्सा काला रहता है. लंगूर, बंदरों से कम ऊधमी होते हैं और आबादियों की अपेक्षा जंगलों में रहना अधिक पसंद करते हैं.