Nagpur News: नागपुर में स्कूली बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी, 39 फीसदी वाहनों के पास नहीं है फिटनेस सर्टिफिकेट
नागपुर में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूली वाहनों द्वारा अनदेखी की जा रही है. गौरतलब है कि जिले के एक हजार से ज्यादा स्कूली वाहनों के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है.
Nagpur News: स्कूली बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी के कारण तीनों क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों के अलावा नागपुर शहर और जिला पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है. राज्य परिवहन विभाग से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि स्कूली बसों और वैन सहित कम से कम 39 प्रतिशत वाहनों के पास अनिवार्य फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं है.
नागपुर में कई स्कूली वाहनों के पास नहीं है फिटनेस सर्टिफिकेट
बता दे कि शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों सहित नागपुर जिले में स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने के लिए परिवहन विभाग में लगभग 3 हजार 464 वैन और बसें रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 1 हजार 348 वाहन बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के हैं.
स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने वाली वैन कर रही नियमों की अनदेखी
नियम के अनुसार, एक वैन में 10 से अधिक छात्र (यदि वे 12 वर्ष से कम आयु के हैं) नहीं ले जा सकते हैं, जबकि ऑटोरिक्शा में अधिकतम पांच छात्र सवार होने चाहिए. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह के निर्देश जारी किए थे. लेकिन आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस दोनों की निष्क्रियता के कारण इनका पालन नहीं हो पा रहा है.
कई प्राइवेट वैन क्षमता से ज्यादा भर लेते हैं बच्चे
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक कई ऐसे निजी वैन, कार और यहां तक कि हजारों ऑटोरिक्शा भी हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं और वे बच्चों को स्कूलों से घर वापस ले जाती हैं. उनमें से ज्यादातर में स्कूली बच्चे क्षमता से ज्यादा भरे होते हैं. हैरानी की बात ये है कि परिवहन विभाग, जो बच्चों की स्कूल बसों में यात्रा सुनिश्चित करता है, इस गंभीर मुद्दे पर आंखें मूंदे हुए है.हालांकि क्षेत्रीय परिवहन विभाग के पूर्वी, शहरी और ग्रामीण कार्यालयों में बच्चों को ले जाने वाली बसों और वैन के आंकड़े हैं, लेकिन शहर के स्कूलों में छात्रों को ले जाने वाले ऑटोरिक्शा की संख्या के बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, हालांकि, सूत्रों ने दावा किया कि यह संख्या 8,000 से 10,000 के बीच हो सकती है.
डिप्टी आरटीओ ने कार्रवाई का दिया भरोसा
24 अगस्त को, पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार, जो जिला स्कूल बस सुरक्षा समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने फिटनेस सर्टिफिकेट मानदंडों का पालन करने के लिए बसों और वैन के लिए 15 सितंबर की समय सीमा निर्धारित की थी. समय सीमा से एक सप्ताह पहले, न तो शहर की पुलिस और न ही परिवहन विभाग ने 'भीड़ वाले' वाहनों में स्कूली बच्चों को ले जाने वाले ड्राइवरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. हालांकि डिप्टी आरटीओ रवींद्र भुयार ने उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया. उन्होंने दावा किया, ''किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.
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