Nagpur News: नागपुर शहर के पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग (PHE) ने शहर के कूड़ा करकट और सीवरों की सफाई के लिए जेट मशीनों को किराए पर लिया था और अपने ऑपरेटरों को करदाताओं के लगभग 7 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया था बावजूद इसके  पीएचई विभाग नियमित रूप से हाथ से मैला ढोने के लिए वेस्ट मैनेजमेंट वर्कर्स को तैनात कर रहा है.


क्या कहते हैं नागपुर नगर निगम के आंकड़े?


नागपुर नगर निगम (Nagpur Municipal Corporation) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पीएचई विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22) में चार जेट और सक्शन माउंटेड वाहनों के संचालकों को 6 करोड़ 77 लाख 55 हजार 360 रुपये का भुगतान किया था. एनएमसी ने 10 विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 11 सक्शन वाहनों के संचालन और रखरखाव पर भी पैसा खर्च किया था.


10 क्षेत्रों में 100 सफाई कर्मचारी अभी भी हाथ ये मैला ढो रहे हैं
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एनएमसी के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सूत्रों के मुताबिक 10 क्षेत्रों में पीएचई से कम से कम 100 सफाई कर्मचारी जुड़े हुए थे और उनमें से ज्यादातर हाथ से मैला ढोने में लगे हुए हैं. मजदूर बिना सेफ्टी किट पहने सीवर लाइन में उतर रहे हैं.  रिपोर्ट के मुताबिक सीवर लाइन को मैन्युअल रूप से साफ करते समय एक सफाई कर्मचारी को चोट लग गई थी. सूत्रों ने कहा, "हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध और इस प्रथा को रोकने के सरकार के दावे के बावजूद, यह मध्य, पूर्व और उत्तरी नागपुर में जारी है."


मानव मल को मैन्युअल रूप से ढोना है प्रतिबंधित


बता दें कि मैला ढोने वाले और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 (PEMSR) के रूप में रोजगार के निषेध के तहत हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध है. सूत्रों के मुताबिक किसी भी मानव मल को मैन्युअल रूप से साफ करने, ले जाने, निपटाने या अन्यथा किसी भी तरह से संभालने के लिए किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति प्रतिबंधित है.


पूर्व वरिष्ठ कॉर्पोरेटर आभा पांडे ने पीएचई विभाग पर लगाए गंभीर आरोप


वहीं टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व वरिष्ठ कॉर्पोरेटर आभा पांडे ने आरोप लगाया कि सीवेज नेटवर्क की सफाई के लिए जनशक्ति का उपयोग पीएचई विभाग द्वारा किए गए घोटाले के अलावा और कुछ नहीं हैय उन्होंने नगर प्रमुख द्वारा इसकी जांच किए जाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि मस्कसठ, इतवारी आदि जैसे पुराने शहर के क्षेत्रों में सीवरेज लाइनों की रुकावट एक बारहमासी समस्या है, जहां कई गलियां और उप-गलियां हैं. य़हां एक चार पहिया वाहन भी प्रवेश नहीं कर सकता है. यहां सीवर लाइन जाम की समस्या बड़ी समस्या है. स्थायी समाधान खोजने के बजाय, विभाग ऐसी मशीनों को काम पर रख रहा है जो पुराने क्षेत्रों में प्रवेश नहीं कर सकती हैं. ”


सूत्रों के मुताबिक, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर श्वेता बनर्जी की अध्यक्षता वाला पीएचई विभाग ऐसे स्थानों पर सफाई कर्मियों द्वारा हाथ से मैला ढोने पर जोर देता है. पांडे ने कहा कि उन्होंने पूर्व में मैला ढोने का विरोध किया था और पुराने क्षेत्रों में हाई-टेक मशीनों के उपयोग और निजी ऑपरेटरों को भारी भुगतान रोकने की मांग भी की थी.


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