Nagpur News: शहर भर में अवैध धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने के हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के बावजूद, नागपुर नगर निगम (NMC) ऐसा करने में विफल रहा है. एनएमसी के संपत्ति विभाग ने आरटीआई के जवाब में स्वीकार किया है कि शहर में अभी भी बी कैटेगिरी के अंडर 121 अवैध धार्मिक संरचनाएं हैं.


वहीं टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक वकील फिरदौस मिर्जा ने एनएमसी की निष्क्रियता को उच्च न्यायालय की अवमानना ​​करार दिया. उन्होंने कहा कि, “एनएमसी ने अवैध संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई के बारे में अदालत के समक्ष हलफनामा दिया था. यदि अवैध ढांचे अभी भी वहां हैं, तो इसे निश्चित रूप से यह अदालती कार्रवाई का सामना करना होगा.”


एनएमसी ने श्रेणी ए के तहत 17 धार्मिक संरचनाओं को बताया था वैध


2014 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, एनएमसी ने एक सर्वे किया था और धार्मिक संरचनाओं की एक सूची तैयार की थी, जो उन्हें दो श्रेणियों में विभाजित करती है - कानूनी और अवैध. लिस्ट के मुताबिक  शहर में 1 हजार 521 धार्मिक संरचनाएं हैं, जिनमें से एनएमसी ने श्रेणी ए के तहत 17 को नियमित किया था, जबकि शेष 1 हजार 504 को श्रेणी बी में रखा गया था जो कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करती हैं या यातायात में बाधा डालती हैं और इन्हें नियमित नहीं किया जा सकता है. बाद में, नागरिक निकाय ने अवैध संरचनाओं को तोड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया, लेकिन इसे बीच में ही छोड़ दिया दया. सूत्रों ने बताया कि कई जगहों पर फिर से अवैध ढांचों का निर्माण हुआ. वहीं सूत्रों ने ये भी दावा किया कि, "सदर क्षेत्र में लिंक रोड एक ऐसा उदाहरण है, जहां धीरे-धीरे सार्वजनिक सड़क पर अतिक्रमण करने के प्रयास किए जा रहे हैं."


सबसे ज्यादा अवैध कंस्ट्रक्शन धर्मपेठ एरिया में हैं


गौरतलब है कि आरटीआई को दिए गए एनएमसी के जवाब से पता चलता है कि 1 हजार 504 संरचनाओं में से, एनएमसी ने सड़कों, फुटपाथों और सार्वजनिक स्थानों से 1 हजार 383 को हटा दिया था या ध्वस्त कर दिया था. हालांकि, सबसे अधिक संख्या में अवैध संरचनाएं, 51, अभी भी धर्मपेठ क्षेत्र के अंतर्गत मौजूद हैं, इसके बाद मंगलवारी 14 और हनुमान नगर क्षेत्र में 11 हैं.


एक्टिविस्ट अभय कोलारकर ने आरटीआई फाइल की थी


वहीं एक्टिविस्ट अभय कोलारकर द्वारा दायर आरटीआई एप्लिकेशन का जवाब देते हुए, एनएमसी के संपत्ति विभाग ने कई महत्वपूर्ण प्रश्नों को छोड़ दिया. विभाग ने कोलारकर को सूचित किया कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कितने धार्मिक स्थल ट्रस्टों द्वारा शासित हैं और कितनी संरचनाओं को नियमित किया गया है. इसने यह भी जवाब नहीं दिया कि शेष कितने अवैध ढांचे निगम की जमीन पर स्थित थे.


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