Shivsena Nagpur: शिवसेना के जिलाध्यक्ष संदीप इटकेलवार को पार्टी से निकाले जाने के बाद कई नेता मुंबई पहुंच गए हैं और नेताओं से मिलने लगे हैं. नागपुर शहर में आंतरिक कलह और विवाद होने के कारण पूरी कार्यकारिणी बदलने की मांग की जा रही है. हाल ही में शहर में शिवसेना के पदाधिकारियों की बैठक रविभवन में हुई थी. नागपुर के संपर्क प्रमुख दुष्यंत चतुर्वेदी के नेतृत्व में हुई बैठक में बड़ा विवाद खड़ा हो गया. कुछ शिवसैनिकों की जिलाध्यक्ष से बहस हो गई. वहीं इस बैठक में दूसरे जिलाध्यक्ष किशोर कुमेरिया और नगर प्रमुख प्रवीण बर्दे भी शामिल नहीं हुए. बर्दे को पूर्वी नागपुर में विधानसभा की जिम्मेदारी से हटा दिया गया है.


नागपुर का रिस्क नहीं लेना चाहती शिवसेना!


यह विवाद मुंबई तक पहुंच चुका है. इसलिए शिवसेना प्रवक्ता सांसद संध्या राउत ने नागपुर में ही आपसी नियुक्तियों को रद्द करने का वादा किया था. हालांकि इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अगर ऐसा ही रहा तो चतुर्वेदी और कुमेरिया दोनों समूहों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. शिवसेना पहले से ही संकट में है. ऐसे में समझा जा रहा है कि कार्यकारिणी में फेरबदल होने पर शिंदे गुट के सक्रिय होने के डर से पार्टी ने नागपुर के मामले में नीति जारी रखी है.


शिंदे गुट ने पदाधिकारियों को दिया ऑफर!


शिंदे गुट के जरिए शिवसेना के पदाधिकारियों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. मुंबई के कुछ लोगों ने सभी पदाधिकारियों को ऑफर दिया है. लेकिन शहर में कोई ठोस पदाधिकारी उनके हाथ में नहीं आया. रामटेक सांसद कृपाल तुमाने और विधायक आशीष जायसवाल आधिकारिक तौर पर शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं. इसलिए उनके पक्के समर्थक उधर मुड़ गए.


बड़ी जिम्मेदारी की तलाश में जाधव!


रामटेक के पूर्व सांसद और जिलाध्यक्ष प्रकाश जाधव एक बार फिर सक्रिय माने जा रहे हैं. वे मुंबई गए. उन्होंने कुछ नेताओं के साथ बैठक की. उन्हें एक कट्टर शिवसैनिक के रूप में जाना जाता है. लेकिन इसी बीच उन्हें जिला प्रमुख के पद से भी हटा दिया गया. इसलिए एक साल तक वह शिवसेना से दूर रहे. मौजूदा घटनाक्रम को देखते हुए उन्होंने इस बात को ध्यान में रखकर काम करना शुरू कर दिया है कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.


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