खुद पर पांचवीं बार एसिड अटैक का आरोप लगा रही महिला यूपी पुलिस के शक के घेरे में
उत्तर प्रदेश की एक महिला ने अपने ऊपर तेजाब से हमला करने के आरोप में कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है. महिला यूपी के ‘महिला कल्याण निगम’ के हॉस्टल में रहती है. उसका आरोप है कि जब वो रात में पानी लाने के लिए उठी थी तब अचानक कुछ हमलावरों ने उस पर एसिड से हमला करने की कोशिश की. इस महिला का आरोप है कि कुछ बैखौफ गुंडे उसपर अब तक पांच बार तेजाब से हमला कर चुके हैं. कभी उसके घर में घुसकर एसिड से हमला किया तो कभी चलती ट्रेन में उसे जबरन तेजाब पिलाया और कभी- हॉस्टल में घुसकर उस पर तेजाब डाला गया. महिला के मुताबिक हर बार वही हमलावर उनपर हमला कर रहा है.
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View In Appइस नए खुलासे से पुलिस की मुस्तैदी और सरकारी मशीनरी के काम काज का तरीका सवालों के घेरे में आ गया है. दरअसल इस महिला को योगी सरकार भी एक लाख रुपए दे चुकी है. इससे पहले जब अखिलेश यादव यूपी के सीएम थे तब महिला को डेढ़ लाख रुपए और एक घर भी रहने को दिया गया था. सवाल ये है कि क्या पहले इस महिला को एसिड अटैक की पीड़ित मानकर जितनी भी मदद की गई- क्या वो तथ्यों की तहकीकात के बगैर ही कर दी गई थी.
आरोप है कि पिछले नौ सालों में ये पीड़ित महिला आठ मुक़दमे दर्ज करा चुकी है. गैंग-रेप से लेकर तेज़ाब से हमले का. सभी मुकदमों में त्रिभुवन सिंह और उनके घर वाले को ही आरोपी बनाया जाता है. ये लोग रायबरेली में पीड़ित महिला के पड़ोसी हैं. इतना ही नहीं, पुलिस की रिपोर्ट में महिला पर संगीन सवाल उठाए गए हैं. गैंग-रेप के दोनों मामलों में पुलिस फाइनल रिपोर्ट लगा चुकी है. पुलिस तफ्तीश में दोनों ही केस झूठे पाए गए.
ये महिला जब से सवालों के घेरे में आई है-तभी से पुलिस ने इसके तमाम इल्जामों की तहकीकात नए सिरे शुरू कर दी है. खबर है कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने इस पीड़िता को लेकर एक गोपनीय रिपोर्ट बनाई है. ABP न्यूज़ को मिले इस रिपोर्ट के मुताबिक़ अपने विरोधियों को सताने और उनसे पैसे वसूलने के लिए ही महिला झूठी कहानियां बनाती है.
अब यूपी पुलिस ये दावा कर रही है कि ट्रेन में तेजाब पिलाने के तमाम आरोप झूठे पाए गए थे. यूपी पुलिस ने बताया कि रायबरेली की रहनेवाली ये महिला पिछले सात महीनों से लखनऊ में स्वयंसेवी संस्था शी-रोज कैफे में काम कर रही है. दरअसल शी-रोज कैफे एक ऐसी संस्था है, जिसमें काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं एसिड अटैक से पीड़ित हैं. शी-रोज कैफे के संचालन से जुड़े आशीष शुक्ल भी मानते हैं कि दाल में कुछ काला जरूर है.
आपको बता दें कि उस हमले के बाजद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद महिला से मिलने अस्पताल पहुंचे थे. मुख्यमंत्री योगी के अस्पताल दौरे से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था- इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए रेलवे सुरक्षा बल ने लापरवाही के आरोप में अपने 4 जवानों को सस्पेंड कर दिया था. वहीं महिला को एसिड पिलाने के मामले में 2 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था. जो बाद में जमानत पर रिहा हो गए थे.
पीडित महिला ने बयान दिया था कि जिन लोगों ने उसे तेजाब पिलाकर जान से मारने की कोशिश की वो दरअसल बहुत पहले से ही उसके पीछे पड़े थे. महिला का आरोप है कि साल 2008 में कुछ दबंगो ने उसके साथ रेप किया था. इसके बाद उस पर कई बार तेजाब से हमला किया गया.
हमले के बाद मौका-ए-वारदात पर पहुंची पुलिस ने जांच के बाद महिला को अस्पताल में भर्ती करवा दिया था और तेजाब के हमले के मद्देनजर अस्पताल के आप पास की सुरक्षा भी बढ़ा दी थी. हॉस्टल के अंदर एसिड अटैक की खबरों ने इस महिला को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया. इससे पहले महिला ने 23 मार्च को आरोप लगाया था कि जब वो ट्रेन से रायबरेली जा रही थी, तो ट्रेन में कुछ बदमाशों ने उसका पीछा किया और मौका मिलते ही उसे जबरन तेजाब पिलाकर जान से मारने की कोशिश की थी. उस घटना के बाद उस दिन इस महिला को जीआरपी पुलिस ने बेसुध हालत में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया था.
हॉस्टल में एसिड अटैक की तहकीकात करने पहुंचे पुलिस अफसरों को मौका-ए-वारदात का मुआयना करने के बाद भी किसी हमलावर के बारे में कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा. लेकिन उस वक्त पुलिस के पास एसिड अटैक की शिकार बनीं महिला पर शक करने की कोई वजह भी नहीं थी. वो भी तब, जब कि महिला के चेहरे पर चोट के निशान थे.
इस मामले में महिला ने जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है, उन्हीं लोगों के खिलाफ वो पहले भी कई मामले में केस दर्ज करवा चुकी है. लेकिन अब लंबी पुलिसिया तफ्तीश के बाद ये महिला खुद ही शक के घेरे में आ गई है. दरअसल महिला ने आरोप लगाया था कि एक जुलाई की रात को हॉस्टल के अंदर उस पर हमला किया गया. महिला के मुताबिक वो अपनी बोतल में पानी भर रही थी, तो किसी ने हॉस्टल के अंदर घुसकर उसके ऊपर तेजाब से हमला कर दिया, लेकिन हॉस्टल के गार्ड राजेश और वार्डन नीरा सिंह इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि सामने वाला गेट बंद था, लिहाजा बाहर से किसी के भी अंदर आने की बात गलत है.
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