साउथ और साउथ-ईस्ट दिल्ली में चिल्ड्रेन होम्स में रहने वाले लगभग 45 प्रतिशत बच्चे 2 डिजिट नंबर की भी पहचान नहीं कर पाते हैं. ये बात DCPCR के एक सर्वे में सामने आई है. वहीं सर्वे में शामिल 25 प्रतिशत बच्चे नंबर्स को भी नहीं पहचान पाए. दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCE) ने जुलाई में चाइल्डकेयर संस्थानों में बच्चों का बेसलाइन असेसमेंट किया था जिसमें ये चौंकाने वाली बात सामने आई है.
साउथ और साउथ ईस्ट दिल्ली के 30 बाल गृहों में किया गया था सर्वे
ये सर्वे साउथ और साउथ ईस्ट जिलों के 30 बाल गृहों में किया गया था और इसमें 6 से 18 आयु वर्ग के 400 बच्चों को शामिल किया गया था. सर्वे में 12-15 आयु वर्ग बच्चों की मेजॉरिटी ज्यादा थी. बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 100 चाइल्डकेयर संस्थान हैं और उनमें से एक तिहाई दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में स्थित हैं.
37.5 प्रतिशत बच्चे हिन्दी नहीं पढ़ पाए
सर्वे में ये भी चौंकाने वाली बात सामने आई कि 37.5 प्रतिशत बच्चे हिन्दी की कहानियां नहीं पढ़ सकते थे, जबकि 18 प्रतिशत बच्चे हिन्दी के अक्षरों को भी नहीं पहचान पा रहे थे. इसमें यह भी कहा गया कि 25 प्रतिशत लोग संख्याओं की पहचान करने में भी सक्षम नहीं थे, जबकि 45 प्रतिशत दो अंकों की संख्या को नहीं पहचान पाए थे.
बाल गृह के बच्चों की स्किल बढ़ाने के लिए शुरू किया जा रहा है अभियान
DCPCR के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि यह पैनल द्वारा शुरू की गई एक पायलट परियोजना है और फाउंडेशनल एंड न्यूमरेसी स्किल को बढ़ाने की दिशा में काम करने के लिए, इसने संस्थानों में एक रीडिंग अभियान शुरू कर दिया है. अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 100 प्रतिशत बच्चे धाराप्रवाह हिंदी को समझ के साथ पढ़ सकें और अंकगणितीय संचालन जैसे जोड़, घटाव, गुणा और भाग कर सकें. गौरतलब है कि चाइल्ड केयर संस्थानों में ऐसे बच्चे रहते हैं जो तस्करी, यौन हिंसा, माता-पिता की कैद, माता-पिता की मृत्यु, बाल श्रम, आदि के शिकार होते हैं.
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