देश में हर एक वर्ग का व्यक्ति संसद भवन तक जाने की इच्छा रखता है. खास कर ऐसे लोगों के लिए ये एक सपने की तरह है जो अनुसूचित जनजातियों से आते हैं. इसी के तहत 'पंचायत से संसद 2.0' कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को संसद भवन में किया गया.
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW), लोकसभा सचिवालय और आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने संविधान सदन के केंद्रीय हॉल में 'पंचायत से संसद 2.0' कार्यक्रम का आयोजन किया. यह पहल भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित की गई, जो एक सम्मानित आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे.
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जानिए क्या है इस कोर्स में
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सोमवार को पंचायत से पार्लियामेंट कार्यक्रम के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य देश भर की पंचायती राज संस्थाओं की 500 से अधिक महिला प्रतिनिधियों को संविधान और संसदीय प्रक्रियाओं की जानकारी देना है. भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में कार्यशाला और सत्र आयोजित किए गए, प्रतिभागियों को नए संसद भवन, संविधान सदन, प्रधानमंत्री संग्रहालय और राष्ट्रपति भवन का दौरा कराया गया, जिससे उन्हें भारत की विधायी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली की गहन जानकारी दी गई.
22 राज्यों की इन महिलाओं को मिला मौका
इस कार्यक्रम में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की 502 निर्वाचित महिला प्रतिनिधी शामिल रहीं, जिससे एक विविध और समावेशी समूह सुनिश्चित होगा. इसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं से अनुसूचित जनजातियों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को सशक्त बनाना व प्रभावी नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक प्रावधानों, संसदीय प्रक्रियाओं और शासन के बारे में उन्हें जानकारी देना है. महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख विजया रहाटकर इस कार्यक्रम में शामिल रहीं. जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने एक सत्र को संबोधित किया.
यह था कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
इस कार्यक्रम में महिलाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधान, जिसमें 73वें संशोधन – पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (पेसा अधिनियम) पर विशेष रूप से बल दिया गया. पंचायत से संसद 2024 के क्रम में यह दूसरा कार्यक्रम पंचायत से पार्लियामेंट 2.0 है. इसका उद्देश्य प्रगति को आगे बढ़ाना व विशेष रूप से ग्रामीण और जनजातीय समुदायों की महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को और सशक्त करना था.
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