जहां कोविड में विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या कम हो गई थी वहीं अब यह संख्या बढ़कर लगभग तीन गुना हो गई है. लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (BOI) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार पांच वर्षों में शिक्षा के मकसद से विदेश गए.
छात्रों की संख्या 2933899 (करीब 30 लाख) थी, जबकि कोविड महामारी के दौरान 2020 में जहां केवल 259655 छात्र ही विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जा पाए थे, वहीं उसके बाद हर वर्ष यह संख्या. तेजी से बढ़ती जा रही है. 2023 में तीन गुना से ज्यादा छात्र 892989 छात्र पढ़ाई के लिए गए विदेश गए.
विदेश में पढ़ाई के लिए यूएस पहली पसंद
2019 में 586337 छात्र विदेश गए थे. 2020 में यह संख्या घटकर केवल 259655 रह गई. उसके बाद 2021 में 444553, अगले वर्ष 2022 में 750365 छात्र गए और 2023 में यह संख्या सबसे ज्यादा 892989 हो गयी. हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बाद अब भारत में भी विदेशी कैंपस की पढ़ाई शुरू हो गई है.
ये यूनिवर्सिटीज हैं स्टूडेंट्स की पसंद
- अमेरिका की (MIT), स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (Caltech)
- कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (UBC)
- ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी
- इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, इंपीरियल कॉलेज लंदन
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ये हैं विदेश के टॉप संस्थान
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग- 2025 में टॉप 10 यूनिवर्सिटीज में अमेरिका की MIT नंबर एक पर है. इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन को दूसरा स्थान मिला है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तीसरे, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी 5वें, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी छठे, स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सातवें नंबर पर है. उसके बाद नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, इंग्लैंड की यूसीपल और अमेरिका का कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है.
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