कोविड के बाद शिक्षा की नई राह, सरकारी और निजी स्कूलों में बढ़ी प्रतिस्पर्धा, डिजिटल साक्षरता में भारी उछाल
कोविड-19 के बाद सरकारी और निजी स्कूलों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है और शिक्षा के स्तर में सुधार देखा गया है. रिपोर्ट में डिजिटल साक्षरता और बच्चों की पढ़ाई में सुधार की बात सामने आई है.
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कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में हुई बढ़ोतरी अब धीरे-धीरे कम हो रही है. साल 2024 की वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) के मुताबिक नामांकन का स्तर अब प्री-पेंडेमिक स्थिति पर फिर से आ गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में सरकारी और निजी स्कूलों के बीच प्रतिस्पर्धा एक बार फिर तेज हो गई है और कुछ राज्यों में बच्चों की शिक्षा के स्तर में रिकॉर्ड सुधार भी देखने को मिला है.
महामारी के कारण कई परिवारों ने आर्थिक कारणों से सरकारी स्कूलों का रुख किया, लेकिन अब जैसे ही स्थिति सामान्य हो रही है, निजी स्कूलों में नामांकन बढ़ता जा रहा है. 2006 में ग्रामीण भारत में निजी स्कूलों का नामांकन केवल 18.7% था, जो 2018 में बढ़कर 30.8% हो गया था. अब महामारी के बाद, जब आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, तो निजी स्कूलों की ओर एक बार फिर से रुझान बढ़ा है.
शिक्षा के स्तर में सुधार
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई पर जो गहरा असर पड़ा था, वह अब काफी हद तक सुधर चुका है. विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है. इन राज्यों ने यह साबित कर दिया है कि बेहतर नीति और प्रयासों के साथ बच्चों की सीखने की क्षमता को महामारी के बाद भी बेहतर किया जा सकता है.
डिजिटल साक्षरता का उभार
रिपोर्ट में डिजिटल साक्षरता पर भी जोर दिया गया है. 14 से 16 वर्ष के बच्चों में से 82.2% ने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना बताया, जिनमें से 57% ने इसे शैक्षिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया. हालांकि, 76% ने सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने की बात भी कही, लेकिन यह संकेत है कि डिजिटल साक्षरता में वृद्धि हो रही है, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक नया बदलाव ला सकता है.
कम उम्र में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट
इसमें एक और अहम आंकड़ा सामने आया है जिसके अनुसार 2018 में पहली कक्षा में 5 साल या उससे कम उम्र के बच्चों का अनुपात 25.6% था, जो अब घटकर 16.7% हो गया है. यह बदलाव दर्शाता है कि अब अधिक उम्र के बच्चे स्कूलों में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे उनकी शिक्षा में बेहतर स्थिरता और परिणाम की संभावना बढ़ रही है.
महामारी के बाद शिक्षा में बदलाव
इस रिपोर्ट ने यह भी साफ किया है कि महामारी के बाद शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं. राज्यों ने सुधारात्मक कदम उठाए हैं और कई नीतिगत पहल भी की हैं. सरकारी और निजी स्कूलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा यह दर्शाती है कि अब शिक्षा के क्षेत्र में नए दौर की शुरुआत हो चुकी है, जहां बेहतर गुणवत्ता और परिणाम की ओर बढ़ते हुए देश की शिक्षा प्रणाली को एक नया मोड़ मिल रहा है.
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