नई दिल्लीः कोरोना वायरस संक्रमण के चलते स्कूलों के फिर से खुलने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. लेकिन हाल ही की एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) के अनुसार सरकारी स्कूलों में दो साल पहले की तुलना में अधिक स्टूडेंट हैं लेकिन उनमें से कुछ इस इस शैक्षणिक वर्ष में एनरोल नहीं हैं.


स्कूल बंद होने के छह महीने के बाद सितंबर में फोन-बेस्ड सर्वे किया गया था जिसे बुधवार को जारी किया गया. सर्वे में प्राइवेट से सरकारी स्कूलों में हुआ एनरोलमेंट सामने आया है. 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के 69.55 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में एनरोल्ड हैं जबकि 2018 में 66.42 प्रतिशत थे.


लड़के और लड़कियों दोनों के एनरोलमेंट में परिवर्तन
यह शिफ्टिंग लड़कियों और लड़कों दोनों के बीच दिखाई देती है. सर्वे में पता चलता है कि सरकारी स्कूलों में एनरोल्ड लड़कों का अनुपात 2018 में 62.8 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 66.4 प्रतिशत हो गया है, जबकि लड़कियों अनुपात इसी अवधि में बढ़कर 70 प्रतिशत से 73 प्रतिशत तक हुआ है.


स्कूल में एनरोलमेंट में परिवर्तन हालांकि केवल तभी ठीक से पता चल सकता है जब स्कूल फिर से खुलते हैं और बच्चे अपनी कक्षाओं में लौटते हैं. एएसईआर 2020 बताता है कि वर्तमान में 2020-21 के स्कूली वर्ष में 5.5 प्रतिशत बच्चों का एनरोलमेंट नहीं हुआ है जो कि 2018 में 4 प्रतिशत था. यह अंतर सबसे कम उम्र के बच्चों (6 से 10 वर्ष की उम्र) में सबसे ज्यादा है. क्योंकि हो सकता है कि उन्होंने अभी तक स्कूल में एडमिशन नहीं लिया हो. 2018 में इस आयु वर्ग के 1.8 प्रतिशत बच्चों का एनरोलमेंट नहीं हुआ था, जो कि अब 5.3 प्रतिशत हो गया है.


61.8 प्रतिशत स्टूडेंट्स के पास स्मार्टफोन की सुविधा
सर्वे के अनुसार इस शैक्षणिक वर्ष में लर्निंग लगभग पूरी तरह से ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर शिफ्ट कर दिया गया है. स्मार्टफोन के जरिये स्टूडेंट्स की स्कूलों में एक्सेस बना है.एनरोल्ड स्टूडेंटस में से 61.8 प्रतिशत ऐसे परिवारों में रहते हैं जिनके पास कम से कम एक स्मार्टफोन है. इसमें दोनों तरह के परिवार शामिल हैं जिन्होंने स्कूल बंद होने से पहले स्मार्टफोन खरीदा था और स्टूडेंट्स की लर्निंग के लिये की सुविधा के लिए बाद में खरीदा था. जबकि दो साल पहले कम से कम एक स्मार्टफोन वाले परिवारों में केवल 36.5 प्रतिशत बच्चे रहते थे.


ऑनलाइन स्टडी में मिला परिवार का सपोर्ट
सर्वेक्षण में पाया गया कि स्मार्टफोन के बावजूद स्टूडेंट्स ने अपने शिक्षकों और परिवार के सदस्यों की ओर से शेयर किये गये मेटिरियल से ही पढ़ाई की. ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या करीब 70.2 प्रतिशत थी. लगभग 75 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि उन्हें परिवार के सदस्यों से पढाई में सपोर्ट मिला. इसमें बड़े भाई-बहनों की अहम भूमिका होती है. इस तरह का सपोर्ट उन बच्चों में भी था जिनके माता-पिता ने प्राथमिक स्कूल से आगे की पढ़ाई नहीं की है. हालांकि अधिक शिक्षित माता-पिता वाले बच्चों को अधिक सपोर्ट मिला है.


गौरतलब है कि एएसईआर सर्वे 26 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया था. इसमें 5-16 आयु वर्ग के कुल 52,227 घरों और 59,251 बच्चों का सर्वे किया गया.


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