सीबीएसई के 12वीं की परीक्षा रद्द किए जाने के बाद कई राज्यों ने भी अपनी बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी हैं. वहीं असम में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं आयोजित किए जाने की तैयारी हो रही है. ऐसे में राज्य में छात्रों के एक समूह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर कक्षा 10 और 12 की राज्य बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की. बता दें कि असम बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं अगस्त के पहले सप्ताह में निर्धारित हैं.


राज्य बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के लिए अदालत के समक्ष अधिवक्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय (WP(C)620 of 2021)द्वारा पूर्व में दायर रिट याचिका में छात्रों की ओर से एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है.  मामले की सुनवाई 17 जून को होने की संभावना है.


छात्रों ने एक इवैल्यूएशन फॉर्मूले की भी मांग की है


अधिवक्ता अभिषेक चौधरी, प्रभु प्रसन्ना बेहरा, रितिका रितु, अभिषेक पटनायक और नवाब सिंह द्वारा दायर की गई याचिका में  छात्र परीक्षा रद्द करने के साथ-साथ एक इवैल्यूएशन फॉर्मूले के लिए निर्देश देने की मांग रहे हैं. आवेदन में कहा गया है कि यह सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्डों द्वारा अपनाए गए फॉर्मूले के अनुरूप होना चाहिए.


असम में 1 से 15 अगस्त के बीच होनी हैं बोर्ड परीक्षाएं


गौरतलब है कि राज्य के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने पिछले हफ्ते कहा था कि स्थिति नियंत्रण में होने पर परीक्षा 1 से 15 अगस्त के बीच आयोजित की जाएंगी. बता दें कि असम राज्य में 10वीं कक्षा की परीक्षा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (SEBA) द्वारा और कक्षा 12 की परीक्षा असम उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद (AHSEC) द्वारा आयोजित की जाती है. दोनों बोर्ड परीक्षाएं से लगभग सात लाख छात्र ( कक्षा 12 से 2.5 लाख और कक्षा 10 से 4.5 लाख) परीक्षा में शामिल होंगे. दोनों परीक्षाएं शुरू में 11 मई के लिए निर्धारित की गई थीं.लेकिन 4 मई को, सरकार ने घोषणा की कि कोरोना संक्रमण मामलों में वृद्धि के कारण परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं


पॉजिटिविटी रेट 2% से कम होगा तभी होंगी परीक्षाएं- सीएम


वहीं राज्य शिक्षा मंत्री रनोज पेगू की घोषणा के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि अगर असम में जुलाई के पहले सप्ताह में कोविड-19 पॉजिटिविटी रेट दो प्रतिशत से नीचे रहता है तो परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी.


पॉजिटिविटी रेट डेटा "नेचर में बहुत गतिशील"


वहीं याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि पॉजिटिविटी रेट डेटा "नेचर में बहुत गतिशील" है और इसमें 24 घंटे की कम अवधि के भीतर तेजी से बढ़ने या घटने की क्षमता है. इसलिए "किसी विशेष तिथि पर सकारात्मकता कभी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने का आधार नहीं हो सकती है और न ही होनी चाहिए"


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