हाल ही बॉलीवुड अभिनेता विक्की कौशल की आई फिल्म "छावा" के बाद एक बार फिर मुगल शासक औरंगजेब काफी चर्चा में है. फिल्म के आने के बाद से ही महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासी बवाल जोरों पर है. फिल्म के आने के बाद से ही लगातार औरंगजेब की करब कब्र हटाने को लेकर जमकर सियासत चल रही है. लेकिन जिस शासक ने कई हिंदू मंदिरों को तुड़वाया और क्रूरता की हदें पार कीं वह किन विषयों में महारथी था, आइए जानते हैं...
सबसे पहले बताते चलें कि औरंगजेब की कब्र औरंगाबाद (छत्रपति संभाजी नगर) से करीबन 20 से 25 किलोमीटर दूरी स्थित है. रिपोर्ट्स के अनुसार औरंगजेब का ये मकबरा साल 1707 में कच्ची मिट्टी से बनवाया गया था, जिसके बाद इसमें लॉर्ड कर्जन के द्वारा मार्बल चढ़वा दिए गए थे. क्रूर मुगल शासकों में शामिल औरंगजेब शाहजहां और मुमताज महल का तीसरा बेटा था. औरंगजेब ने करीब 49 साल तक शासन किया. उसने साल 1658 से लेकर वर्ष 1707 तक शासन किया. उस दौरान औरंगजेब को आलमगीर की उपाधि से भी नवाजा गया था.
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8 साल कि उम्र में यहां भेजा गया
रिपोर्ट्स बताती हैं कि केवल 8 वर्ष के औरंगजेब और उसके बड़े भाई दारा शिकोह को दादा जहांगीर और दादी नूरजहां के पास लाहौर के मुगल दरबार में भेजा गया था. साल 1627 में जहांगीर की मौत के बाद शाहजहां ने सत्ता के लिए हुए संघर्ष में जीत हासिल की और मुगल बादशाह बने. फिर औरंगजेब और उनके भाई आगरा में अपने पिता शाहजहां से मिल गए.
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दी गई थी खास तालीम
एक मुगल शहजादे के तौर पर औरंगजेब को बचपन से ही खास तालीम दी गई. उसकी पढ़ाई में युद्ध कौशल, सैनिक रणनीति, प्रशासन, इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ तुर्की और फारसी साहित्य भी शामिल थे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि औरंगजेब ने हिंदुस्तानी भाषा में भी अच्छी पकड़ बनाई थी. वह अपनी पुश्तैनी भाषा चगताई तुर्की में भी निपुण था, लेकिन अपने पूर्वजों की तरह उसे फारसी भाषा ज्यादा पसंद थी.
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