आखिर क्यों इतनी सख्ती बरती जाती है Bihar Board टॉपर्स की वेरीफिकेशन प्रक्रिया में जानें यहाँ
Bihar Board 10th Result 2020: बिहार बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट आने में लग रही देरी के बहुत से कारणों में से एक है टॉपर्स का वैरीफिकेशन प्रॉसेस. साल 2016 में हुये टॉपर घोटाले के बाद बोर्ड बहुत सख्त हो गया है. आइये जानें इस टॉपर स्कैम के बारे में विस्तार से
Bihar Board Matric Result 2020: बिहार बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट्स को लेकर काफी समय से सूचनाएं आ रही थीं लेकिन किसी न किसी कारण से रिजल्ट निकलने में विलंब होता ही जा रहा है. आश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इवैल्युएशन से संबंधित सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, यहां तक ही पोस्ट इवैल्युएशन प्रॉसेस भी लगभग समाप्त हो चुका है. अब किसी भी समय बोर्ड रिजल्ट प्रकाशित कर सकता है. इसकी सबसे अधिक संभावना आज यानी 25 मई को डिक्लेयर होने की है.
बोर्ड है सख्त और सजग
दरअसल, साल 2016 में बोर्ड रिजल्ट्स में हुयी गड़बड़ी की वजह से बिहार बोर्ड हर तरफ हंसी का पात्र बन गया था. इस टॉपर स्कैम के खुलने से बोर्ड की बहुत किरकिरी हो गयी थी. तब से बिहार बोर्ड टॉपर्स के वैरीफिकेशन को लेकर बहुत सख्त हो गया है. इस प्रक्रिया के तहत स्टूडेंट्स को बुलाकर उनसे टेस्ट लिखाकर हैंडराइटिंग तक वैरीफाई की जाती है. एक बार कॉपियों का मूल्यांकन होने के बाद जो टॉपर्स चुने जाते हैं, उनकी कॉपियां जिलों से, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पटना स्थित हेडक्वार्टर मंगवाई जाती हैं और सब्जेक्ट स्पेशलिस्ट की टीम बनाकर टॉपर्स की कॉपियां दोबारा चेक की जाती हैं. विशेषज्ञों द्वारा टॉपर्स की कॉपियां चेक होने के बाद इनका इंटरव्यू करके मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है. इस बार कोरोना की वजह से कैंडिडेट्स को बुलाया नहीं गया है और वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग पर सब हो रहा है, इसलिए समय और लग रहा है.
क्या था साल 2016 का स्कैम
साल 2016 में क्लास 12 की आर्ट्स विषय की टॉपर रूबी राय के टीवी साक्षात्कार के दौरान अपने विषय का उच्चारण ठीक से न कर पाने की वजह से यह घोटाला सामने आया था. उन्होंने पॉलिटिकल साइंस को प्रॉडिगल साइंस बोल दिया था. यही नहीं उन्होंने कहा कि यह विषय कुकिंग से संबंधित है. शक होने पर जांच आगे बढ़ी तो इसी साल के साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ और साइंस के ही थर्ड टॉपर राहुल कुमार के रिजल्ट में गड़बड़ी सामने आयी. जब पत्रकारों ने इनसे बात की तो ये आसान से सवालों का जवाब भी नहीं दे पा रहे थे. सौरभ को साइंस का टॉपर होने के बावजूद इलेक्ट्रान, प्रोटॉन तक नहीं पता थे. ऐसी स्थिति बनने पर बोर्ड ने कई टॉपर्स की दोबारा परीक्षा ली तो रूबी राय, सौरभ श्रेष्ठ और राहुल कुमार फेल हो गये. बोर्ड ने तीनों का रिजल्ट रद्द कर दिया.
जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला की भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी थीं. कई बड़े पदों पर बैठे लोग इसमें शामिल थे. इसके बाद टॉपर स्कैम के मास्टरमाइंड कहे जा रहे बिशुन राय, कॉलेज के प्रिंसिपल बच्चा राय और बिहार बोर्ड के उस समय के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इस स्कैम से बिहार राज्य और बिहार बोर्ड की हर तरफ बहुत जग-हंसाई हुयी थी. तब से बोर्ड ऐसी घटनाओं के दोहराव से बचने के लिये अतिरिक्त सजगता से काम करता है.
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