नई दिल्लीः कहते हैं ना मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती फिर चाहे वो किसी भी परिवेश से आए. एक बार फिर ऐसा ही साबित किया है बिहार की एक बेटी ने. जिस अदालत में पिता चपरासी की नौकरी करते थे उसी अदालत में अब बिटिया जज हैं. पिता के साथ छोटे से झोपड़ीनुमा घर में रहने वाली बेटी अर्चना ने जज बनने का सपना वहीं देखा. अर्चना ने ना सिर्फ अपने उस सपने को पूरा किया बल्कि उस सपने को पूरा कर सबको दिखा दिया कि मेहनत से आसमान में सुराख कैसे बनाया जाता है.


पटना के कंकड़बाग की रहनेवाली अर्चना का बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता में चयन हुआ है. साधारण से परिवार में जन्मी पली-बढ़ी अर्चना के पिता सारण जिले के सोनपुर में व्यवहार न्यायालय में चपरासी के पद पर कार्य करते थे. पटना विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद अर्चना ने अपने स्कूल शास्त्रीनगर राजकीय उच्च विद्यालय में छात्रों को कंप्यूटर भी पढ़ाया था. इसके बाद उनका विवाह हो गया और उन्हें ये लगा कि वो अब अपने जज बनने के सपने को पूरा नहीं कर सकेंगी. लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. अर्चना पुणे विश्वविद्यालय पहुंची और उन्होंने अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की.


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अर्चना ने मीडिया से बातें करते हुए बताया कि कैसे पिता रोज किसी जज का टहल करते थे जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था. अर्चना ये भी कहतीं हैं कि शायद उसी का नतीजा हैं कि उन्होंने जज बनने की ठान ली और बनकर दिखाया.


अर्चना का कहना है कि विवाह के बाद उनके पति राजीव रंजन ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया. पिता की मृत्यु के बाद मां ने अर्चना को हमेशा आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया. अपनी इस सफलता का श्रेय अर्चना अपनी मेहनत और सपने के साथ- साथ परिवार वालों को भी दे रही हैं और उनका शुक्रिया अदा कर रहीं हैं.


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