Clinical Clerkship: फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी नया नियम लाया है. इसके तहत ऐसे कैंडिडेट्स जिन्होंने विदेश से मेडिकल की डिग्री ली है पर फाइनल ईयर में ब्रेक लिया था और बचा कोर्स ऑनलाइन पूरा किया उन्हें एक साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप करनी होगी. ऐसा करने के बाद ही वे सीएमआरआई यानी क्लिनिकल मेडिकल रोटेटरी इंटर्नशिप के लिए पात्र होंगे. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स जिनका फाइनल ईयर में (कोविड महामारी या रशिया-उक्रेन वॉर की वजह से) ब्रेक हुआ और वे आखिरी साल में इंडिया वापस आ गए, ये नियम उनके लिए है.


ये करना है कंपलसरी


ऐसे स्टूडेंट्स जो ऊपर बतायी गई किसी भी वजह से फाइनल ईयर में ब्रेक लेकर इंडिया वापस लौट आए थे. साथ ही जिन्होंने बाकी का एक साल ऑनलाइन पूरा किया है, उन्हें अब एक साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप पूरी करनी होगी. ऐसा करने के बाद ही वे यहां की इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे और उसे ज्वॉइन कर सकेंगे. नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस संबंध में नोटिस जारी करके जानकारी दी है.


मेडिकल कॉलेज ले सकते हैं इतनी फीस


एनएमसी ने नोटिस में ये भी कहा कि मेडिकल कॉलेजेस ऐसे स्टूडेंट्स से महीने के 5000 रुपये तक क्लिनिकल क्लर्कशिप के लिए चार्ज कर सकते हैं. नोटिस में ये भी लिखा है कि कोविड या वॉर की वजह से जिन स्टूडेंट्स के फाइनल ईयर में ब्रेक हुआ है और जिन्होंने एफएमजी कोर्स (जिसे एग्जाम भी शामिल है) ऑनलाइन पूरा किया है, उन्हें दो साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप करनी होगी.


इसके बाद ही सीएमआरआई कर सकते हैं


एनएमसी ने कहा है कि दो साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप को सफलतापूर्वक पूरा  करने वाले कैंडिडेट्स ही इंडिया में सीएमआरआई कर सकते हैं. ये इंडिया के किसी भी मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से की जा सकती है. क्लर्कशिप के साथ ही संबंधित अथॉरिटी द्वारा स्टूडेंट को ऑथेंटिकेशन भी जरूरी है. इन सभी नियमों पर खरे उतरने के बाद ही कैंडिडेट की मेडिकल की पढ़ाई को यहां मान्यता मिलेगी. 


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