Career After 12th: दूसरों की मदद करने का जज्बा है तो काउंसलिंग में बनाएं करियर, यहां देखें स्टेप बाय स्टेप गाइड
How To Become A Counsellor: दूसरों की समस्याएं इत्मीनान से सुनने और उन्हें सुलझाने में रुचि है तो काउंसलर के रूप में करियर बना सकते हैं. इसके लिए क्या पढ़ाई करनी होगी जानते हैं.
Career As A Counsellor: बहुत से लोगों को दूसरों की समस्याएं सुनने और उन्हें सुलझाने में खासी रुचि होती है. वे न सिर्फ शांति और धैर्य से सामने वाले का पक्ष सुनते हैं बल्कि बिना पक्षपात करे सही सलाह भी दे लेते हैं. अगर आपको भी ऐसे काम में रुचि है तो इस फील्ड की पढ़ाई करके आप इसे करियर में तब्दील कर सकते हैं. आइये जानते हैं कैसे इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है.
पहला स्टेप: इस विषय की पढ़ाई है जरूरी
यह तय कर लिया है कि काउंसलर ही बनना है तो 12वीं में साइकोलॉजी विषय के साथ पढ़ाई करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है. हालांकि अगर आप इसके बाद चुनते हैं कि आपको काउंसलिंग में करियर बनाना है तो यूजी लेवल पर साइकोलॉजी को एक विषय के तौर पर जरूर चुनें.
दूसरा स्टेप: लेनी होगी बैचलर्स की डिग्री
इस फील्ड में आगे बढ़ना चाहते हैं उसे करियर के तौर पर अपनाना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप साइकोलॉजी में बैचलर्स की डिग्री लें. यहां से आपका यह सफर शुरू होगा जिसे आप आगे कई डिग्रियों के साथ पूरा कर सकते हैं. जिन्हें बेसिक नॉलेज होती है और जो जीरो से शुरू करते हैं वह आगे अपनी फील्ड में एक्सेल करते हैं. 12वीं में साइकोलॉजी नहीं पढ़ी तो भी परेशान ना हों इस विषय में बैचलर्स डिग्री ले सकते हैं.
यह कोर्स आप किसी भी फेमस यूनिवर्सिटी से कर सकते हैं. जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएमआई नई दिल्ली, पंजाब यूनिवर्सिटी, बीएचयू, एमएमयू क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर आदि.
तीसरा स्टेप: अब है मास्टर्स की बारी
इसके बाद आती है मास्टर्स करने की बारी. अपनी फील्ड में प्रैक्टिकल नॉलेज लेने के लिए उसमें स्पेशलाइजेशन करने के लिए अब आपको मास्टर्स की डिग्री की जरूरत होगी. यहां बहुत सी काउंसलिंग थ्योरी, सोशल और कल्चर डाइवर्सिटी, काउंसलिंग इश्यूज, करियर डेवलपमेंट जैसे विषयों पर पढ़ाई करायी जाती है साथ ही रिसर्च भी होता है.. इंटर्नशिप, डेजर्टेशन वगैरह कंप्लीट करने के बाद आपको इस फील्ड में मास्टर होने की डिग्री मिलेगी.
इसके लिए भी आप ऊपर बताए गए कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. सभी जगहों पर एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है.
स्टेप चार: डिप्लोमा लगाएगा करियर में चार चांद
डिग्री पूरी करने तक आप ये तय कर चुके होंगे कि किसी खास एरिया में ही काउंसलिंग करना चाहते हैं और वो आपकी स्पेशियेलिटी बनेगी. ऐसे में योग्यता को बढ़ाने के लिए उसे खास एरिया का डिप्लोमा ले सकते हैं. जैसे कि पीजी डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग. यह आपको आगे बढ़ने में मदद करेंगे. हालांकि ये बिल्कुल ऑप्शनल है आप चाहें तो इस कोर्स या इस डिप्लोमा के बिना ही आगे बढ़ सकते हैं.
स्टेप पांच: खत्म हुआ सफर
आपकी काउंसलर बनने के लिए जो योग्यता थी वह अब पूरी हो चुकी है और अब आपको अपने काम की शुरुआत करनी है. इस स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते आपका स्पेशलाइजेशन तय हो चुका होगा. जैसे आप चाइल्ड काउंसलिंग, विक्टिम सपोर्ट, करियर काउंसलिंग, एकेडमिक काउंसलिंग, रिलेशनशिप और मैरिज काउंसलिंग, हेल्थ काउंसलिंग या रिहैबिलिटेशन काउंसलिंग आदि में से किस एरिया में काम करना चाहते हैं.
अपनी च्वॉइस के मुताबिक कोई प्रोफेशनल संस्थान चुनें और उनके साथ प्रैक्टिकल नॉलेज और एक्सपीरियंस के लिए जुड़ें. शुरू में कमाई कम भी हो तो अनुभव इकट्ठा करें और जब जानकार बन जाएं तो स्विच कर लें. यहां कुछ समय बाद पैसा तो अच्छा है ही साथ ही सैटिस्फेक्शन अलग ही लेवल का है.
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