टीचिंग दुनिया भर में सबसे बड़े प्रोफेशन्स में से एक है क्योंकि वो शिक्षक ही होता है जो अच्छे मूल्यों को सिखाने के साथ-साथ अपने छात्र के करियर को आकार देने के लिए जिम्मेदार हैं. शिक्षक कई प्रकार के होते हैं जैसे स्कूलों में सामान्य बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापकों से लेकर स्पेशल एजुकेशन टीचर जो ऐसे छात्रों जिन्हें सीखने में कठिनाई होती है या जो मानसिक रूप से कमजोर होते हैं उन्हें भी पढ़ना-लिखना सीखाते हैं. शिक्षक दिव्यांग छात्रों को भी बेसिक स्किल्स जैसे साक्षरता और कम्यूनिकेशन टेक्निक्स भी सिखाते हैं. शायद ऐसे बच्चों की जिंदगी में शिक्षक, माता-पिता से ज्यादा मार्गदर्शन करने के लिए उत्तरदायी हैं  क्योंकि वे न केवल उनका अकादमिक रूप से मार्गदर्शन करते हैं बल्कि उनके ओवरऑल डेवलेपमेंट में मदद करते हैं. ऐसे में एक शिक्षक के रूप में करियर बनाने के लिए टीचिंग और स्टूडेंट्स के लिए पैशन की जरूरत होती है.


टीचिंग सेक्टर में है नौकरियों की भरमार


वैसे बता दें कि इन दिनों टीचिंग लाइन में ढेरों ऑप्शन्स मौजूद हैं. दरअसल देश के दूर-दराज इलाकों में भी अब स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज खुल रही हैं ऐसे में जाहिर सी बात है कि इस सेक्टर में भी  नौकरियों की कोई कमी नहीं है. टीचिंग कोर्स करने वाले सरकारी स्कूलों में या प्राइवेट स्कूलों में आसानी से नौकरी पा सकते हैं. इन जोनों एजुकेशनल सब्जेक्ट के अलावा योग, फिटनेस, स्पोर्ट्स जैसे फील्ड में भी प्रोफेशनल टीचर्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है.


टीचिंग के लिए क्या करें कोर्स


जो लोग टीचिंग लाइन में करियर बनाना चाहते हैं उन्हें बता दें कि वे इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल के कई कोर्स कर सकते हैं. 


1. BEd (बैचलर ऑफ एजुकेशन)-  टीचिंग के लिए बीएड का कोर्स काफी पॉपुलर है. पहले बीएड का कोर्स एक साल का था, जिसे 2015 से बढ़ाकर दो साल का कर दिया गया है. बीएड में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है. एग्जाम देने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. हालांकि कई प्राइवेट कॉलेजों में बिना एंट्रेंस टेस्ट के भी सीधे एडमिशन लिया जा सकता है. हर साल बीएड कोर्स के लिए एंट्रेंस टेस्ट होता है राज्यों के अलावा इग्नू, काशी विद्यापीठ, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी भी बीएड कराती हैं. बीएड का कोर्स करने के बाद कोई भी प्राइमरी, अपर प्राइमरी और हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए एलिजिबल हो जाता है.


2- बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट)-  बीटीसी का कोर्स केवल उत्तर प्रदेश के उम्‍मीदवारों के लिए है और इसमें केवल राज्‍य के ही स्‍टूडेंट हिस्‍सा ले सकते हैं. बीटीसी दो साल का कोर्स है. इसके लिए भी एंट्रेंस एग्जाम देना होता है. जिसके बाद जिला स्तर पर काउंसलिंग कराई जाती है. बीटीसी करने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. साथ ही आयु सीमा 18-30 साल होनी चाहिए. बीटीसी करने के बाद प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर बन सकते हैं.


3- एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग)-  एनटीटी दो साल का  कोर्स है. एनटीटी में एडमिशन 12वीं के मार्क्स के आधार पर और कई जगह एंट्रेंस एग्जाम के बाद दिया जाता है. एनटीटी करने के बाद प्राइमरी टीचर बनने के लिए एलिजिबिल होते हैं.


4. बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन)- आजकल फिजिकल एजुकेशन में जॉब के काफी ऑप्शन हैं. प्राइवेट और सरकारी स्कूल में ज्यादातर फिजिकल टीचर्स की जगह खाली हैं. इसके लिए दो तरह के कोर्स कर सकते हैं. जिन स्टूडेंट्स ने ग्रेजुएट में फिजिकल एजुकेशन एक सब्‍जेक्‍ट के तौर पर पढ़ा है वो एक साल वाला बीपीएड कोर्स कर सकते हैं. वहीं जिन्होंने 12वीं में फिजिकल एजुकेशन पढ़ी हो वो तीन साल का बैचलर कोर्स कर सकते हैं. इसके एंट्रेंस टेस्ट में फिजिकल फिटनेस टेस्ट के साथ-साथ लिखित परीक्षा भी होती है. एंट्रेंस टेस्‍ट में पास होने के बाद इंटरव्‍यू भी क्‍वालिफाई करना जरूरी है.


5- जेबीटी (जूनियर टीचर ट्रेनिंग)-  जेबीटी का कोर्स करने के लिए 12वीं पास होना चाहिए. इस कोर्स में एडमिशन कहीं मेरिट के तो कहीं एंट्रेंस के आधार पर होता है. इस कोर्स को करने के बाद प्राइमरी टीचर बनने के लिए एलिजिबल हैं.


टीचिंग कोर्स कहां से किए जा सकते हैं
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, (इग्नू) नई दिल्ली
इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, नई दिल्ली
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), अलीगढ़
एमिटी यूनिवर्सिटी


टीचर बनने के लिए TGT-PGT और कई अन्य एग्जाम क्लियर करना जरूरी


टीचर का कोर्स करने के बाद भी सरकारी स्कूलों में नौकरी नहीं मिलती है इसके लिए टीजीटी और पीजीटी टेस्ट भी क्वालिफाई करना होता है. यह टेस्ट स्टेट लेवल पर कराया जाता है मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और दिल्ली में ये पॉपुलर है. टीजीटी के लिए ग्रेजुएट और बीएड होना जरूरी है और पीजीटी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड डिग्री होना जरूरी है. टीजीटी पास टीचर 6 से लेकर 10 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं पीजीटी पास करने के बाद टीचर सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.
इनके अलावा टीईटी या टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट भी होता है. ये टेस्ट को देश के कई राज्यों में बीएड और डीएड करने वाले स्टूडेंट्स के लिए कराया जाता है. इस एग्जाम को पास करने के बाद राज्य सरकार कुछ निश्चित सालों के लिए एक सर्टिफिकेट देती है. ये समय 5-7 साल का होता है. इस दौरान उम्‍मीदवार टीचर भर्ती के लिए आवेदन कर सकता है. वहीं सीटीईटी या सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट क्वालिफाई करके केंद्रीय विद्यालय, दिल्ली के स्कूल, तिब्बती स्कूल और नवोदय विद्यालयों में टीचर की नौकरी मिल जाती है.  


टीचर की सैलरी


सरकारी स्कूलों में नौकरी लग गई है तो सैलरी काफी अच्छी मिलती है. बता दें कि  सरकारी स्कूलों में प्राइमरी टीचर को करीब 40 हजार सैलरी मिलती है. जो बाद में बढ़ती रहती है. वहीं लेक्चरर और प्रोफेसर की सैलरी तो काफी अच्छी होती है. प्राइवेट स्कूल में अगर आप प्राइमरी के टीचर बनते हैं तो आपको शुरुआत में 15 से 20 हजार सैलरी मिल सकती है. टॉप प्राइवेट कॉलेज में सैलरी 40 से 50 हजार भी हो सकती है.


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