इंजीनियरिंग कोर्स में पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के बाद जॉब्स के कई ऑप्शन, पढ़ें पूरी जानकारी
इंजीनियर बनना ज्यादातर युवा छात्रों का सपना होता है लेकिन कई बार टफ कॉम्पटिशन की वजह आईआईटी में एडमिशन मिल नहीं पाता और प्राइवेट कॉलेज में बीटेक की फीस बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में छात्रों के लिए पॉलिटेक्निक का अच्छा ऑप्शन है.
पॉलिटेक्निक एक टेक्नीकिल डिप्लोमा है जिसको करने के बाद सरकारी और प्राइवेट जॉब दोनों के ऑप्शन खुले हैं. छात्र अपनी रुचि और टेंलेट के मुताबिक सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई कर सकते हैं या फिर प्राइवेट नौकरी कर सकते हैं. पॉलिटेक्निक कोर्स एक मीडियम लेवल का डिप्लोमा है इसलिए इसे करने के बाद एंट्री लेवल या मीडियम लेवल की नौकरी लगती है.
किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में हायर पोजिशन पर नौकरी करने के लिए पॉलिटेक्निक के अलावा ग्रेजुएशन की डिग्री या इंजीनियरिंग करना फायदेमंद है. 10वीं या 12वीं के बाद छात्र पॉलिटेक्निक के लिए अप्लाई कर सकते हैं. सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट देना पड़ता है. प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन के अपने क्राइटेरिया है. अगर कोर्सेज की बात करें तो पॉलिटेक्निक में कई टेक्नीकल कोर्स पॉपुलर हैं जिनको करने के बाद उनसे संबंधित फील्ड में नौकरी के लिए अप्लाई किया जा सकता है
डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद छात्र कंस्ट्रक्शन, प्लानिंग, सर्वे, डिजायनिंग और ड्राफ्टिंग से संबंधित थ्योरी और प्रैक्टिल नॉलेज गेन करते हैं. इस डिप्लोमा को करने के बाद छात्र क्लेरिकल पोस्ट या टेक्नीशियन की सरकारी नौकरी की तैयारी कर सकते हैं, इसके अलावा ये डिप्लोमा करने के बाद किसी भी कंस्ट्रक्शन कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर, फील्ड इंस्पेक्टर, क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर, स्टोर इंचार्ज या साइट इंजीनियर जैसे प्रोफाइल के लिए अप्लाई कर सकते हैं. डिप्लोमा होल्डर कंस्ट्रक्शन कंपनी जैसे जेपी, यूनिटेक, डीएलएफ,, जीएमआर इंफ्रा और बाकी कंपनियों में जॉब के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
डिप्लोमा इन ऑटोमोबिल इंजीनियरिंग ऑटोमोबिल इंजीनियरिंग में छात्र ऑटोमोबिल इंडस्ट्री में होने वाली मैनुफैक्चरिंग, डिजायनिंग, मैकेनिकल मैकेनिज्म की स्किल्स सीखते हैं जिससे उनको इस फील्ड में नौकरी मिलने में आसानी रहती है. ऑटोमोबिल इंजीनियरिंग व्हीकल इंजीनियरिंग का ही पार्ट है जिसमें छात्रों को कई तरह के व्हीकल्स से जुड़ी तकनीकी जानकारी मिलती है. इस कोर्स को करने बाद कैंडिडेट ऑटोमोबिल इंजीनियर बन सकते हैं जिसमें वो व्हीकल की मैनुफैक्चरिंग और डिजायनिंग के रोल में असिस्ट करते हैं. ऑटोमोबिल इंजीनियर व्हीकल के पार्ट्स की टेस्टिंग वगैरा का काम भी करते हैं. इस डिप्लोमा के बाद बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी जैसे मारुति सुजुकी, टोयोटा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा, बजाज ऑटो में काम मिल जाता है.
ऑटोमोबिल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद प्रोडक्शन इंजीनियर का जॉब भी किया जा सकता है जिसमें प्रोडक्शन इंजीनियर किसी भी ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े प्रोडक्शन वर्क को कॉर्डिनेट और असिस्ट करता है. प्रोडक्शन इंजीनियर का काम प्रोडक्शन की क्वालिटी और टाइम पर डिलीवरी को मैनेज करना भी है. डिजायन इंजीनियर का प्रोफाइल भी इस स्ट्रीम के छात्रों के लिए सूटेबल है जिसमें वो किसी व्हीकल की डिजायनिंग से रिलेटेड काम में इंजीनियर की मदद करते हैं. इनका काम कंप्यूटर एडेड डिजायन सॉफ्टवेयर पर व्हीकल का डिजायन बनाना है.
कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद क्लाउड आर्किटेक्ट का जॉब भी कर सकते हैं जिसमें कैंडिडेट क्लाउड सेटअप करना होता है. इसके अलावा बड़ी आईटी कंपनी जैसे विप्रो, टीसीएस, एचसीएल, इंफोसिस और बाकी कंपनियों में एंट्री लेवल पर कई और जॉब्स भी होते हैं.
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन में छात्रों को डिवाइस और इक्विपमेंट जो इलेक्ट्रिसिटी से चलते हैं उनसे संबंधित सब्जेक्ट पढ़ाये जाते हैं. ये कोर्स इलेक्ट्रोनिक डिवासिस के अलावा नेटवर्किंग, कंप्यूटर बेसिक्स, और कम्यूनिकेशन के कॉन्सेप्ट पर बेस है. इस कोर्स को करने के बाद हार्डवेयर असेंबल करना, उनको टेस्ट और डिजायन बनाने का काम मिल जाता है. साथ ही इस कोर्स के बाद नेविगेट सिस्टम, कम्युनिकेशन सिस्टम डिजायन करने वाली कंपनियों में भी एंट्री लेवल पर जॉब मिल जाती है. इसके अलावा नेटवर्किंग प्लानिंग इंजीनियरिंग का प्रोफाइल भी है जिसमें नेटवर्किंग सिस्टम को क्रियेट करना, प्लान करना और उसके कंफिग्रेशन सेट करना शामिल है. इस डिप्लोमा के बाद रिलायंस कम्युनिकेशन, वोडाफोन, बीएसएनएल, एमटीएनएल, भारती एयरटेल जैसी कंपनियों में नौकरी मिल जाती है.
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पॉलिटेक्निक में एक पॉपुलर डिप्लोमा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का भी है जिसमें इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रोमेग्नेटिज्म और इलेक्ट्रोनिक्स से रिलेटेड सब्जेक्ट पढ़ाये जाते हैं. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा करने के बाद इलेक्ट्रिक डिजायनर इंजीनियर बन सकते हैं जिसका काम इलेक्ट्रिकल डिवाइस में सर्किट डिजायन और सिमुलेशन देखना है. इसके अलावा प्राइवेट कंपनियों में जूनियर इंजीनियर का जॉब कर सकते हैं जिनका काम इलेक्ट्रिकल सर्किट को मेंटेन और रिपेयर करना है. इसके अलावा फील्ड इंजीनियर की नौकरी भी है जिनका काम साइट्स पर इलेक्ट्रिसिटी का मेंटिनेंस और रिपेयरिंग वर्क करना है. इस डिप्लोमा के बाद इलेक्ट्रिकल और पावर फर्म जैसे टाटा पावर, बीएसईएस, सीमेंस, एलएंडटी में जॉब मिल जाती है.
डिप्लोमा इन इंटीरियर डेकोरेशन इंटीरियर डिजायनिंग का डिप्लोमा इंजीनियरिंग विंग से नहीं जुड़ा लेकिन पॉलिटेक्निक में ये डिप्लोमा भी काफी पॉपुलर है. आजकल होम डेकोरेशन और इंटीरियर डिजायनिंग ट्रेंडिंग इंडस्ट्री हैं इसलिए अगर पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा इन इंटीरियर डेकोरेशन कर लिया जाये तो फ्यूचर काफी ब्राइट है. इंटीरियर डेकोरेशन के कोर्स में स्पेस प्लानिंग, साइट्स का सुपरविजन, डेकोरेट करने के लिए रिसर्च और क्लाइंट की चॉइस और बजट के मुताबिक डिजायन तैयार करना है. इस कोर्स के बाद असिस्टेंट डिजायनर का प्रोफाइल मिल जाता है जिनका काम सीनियर डिजायनर को प्लानिंग एंड एक्जीक्यूशन में मदद करना है. इंटीरियर डेकोरेशन के कोर्स के बाद एक जॉब ड्राफ्टमैन का भी होता है जो डेकोरेशन सेटअफ के लिए टेक्नीकल ड्राइंग और डिजायन ड्राफ्ट करता है।
आगे पढ़ाई के ऑप्शन भी हैं ओपन पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के बाद आप बीटेक या बीई कर सकते हैं. बीटेक करने में पॉलिटेक्निक के बाद लेटरल एंट्री का प्रोविजन है यानी डिप्लोमा के बाद सीधे बीटेक की सेकेंड ईयर में एडमिशन मिल सकता है. इसके अलावा बीएससी करने का ऑप्शन भी ओपन है. अगर रेगुलर ग्रेजुएशन की डिग्री लेने का इरादा नहीं तो डिस्टेंस मोड में एएमआईई सर्टिफिकेशन कोर्स कर सकते हैं. ये कोर्स 4 साल का है और बीटेक या बीई के बराबर माना जाता है. पॉलिटेक्निक के बाद इस कोर्स की ड्यूरेशन भी 3 साल है. इस कोर्स से जुड़ी और जानकारी के लिए www.ieindia.org पर लॉगिन कर सकते हैं.
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