10वीं के बाद किस विषय में आगे पढ़ाई करनी है इसके बारे में ज्यादातर छात्रों की सोच एकदम साफ रहती है. छात्र कॉमर्स और आर्ट्स की तुलना में साइंस स्ट्रीम को प्राथमिकता देते है. देश में इंजीनियर और डॉक्टर बनने का इतना क्रेज है कि हर पढ़ने लिखने वाला बच्चा साइंस लेकर पढ़ने की प्लानिंग करता है. साइंस स्ट्रीम के फील्ड में सबसे ज्यादा नौकरी और सबसे बेहतरीन नौकरियां होती हैं और इसीलिए इस स्ट्रीम की लोकप्रियता सबसे ज्यादा है.


साइंस साइड की पॉपुलैरिटी के पीछे एक और वजह है, दरअसल साइंस लेकर आप अपने फील्ड से जुड़े डिग्री कोर्स और प्रोफेशनल कोर्सेज में तो जा ही सकते हैं, और साथ ही कॉमर्स और आर्ट्स से संबंधित फील्ड में भी अपना करियर बना सकते हैं. जबकि आर्ट्स और कॉमर्स लेकर पढ़ने वाले छात्रों के साथ ये पाबंदी है कि वो मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे  फील्ड में नहीं जा सकते हैं. साइंस साइड लेने के बाद आपके करियर का हर रास्ता खुला रहता है और आप अपनी मनपसंद नौकरी के मुताबिक पढ़ाई कर सकते हैं.t
साइंस के सब्जेक्ट
आमतौर पर साइंस लेकर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के पास 12वीं पास करने के लिए तीन ऑप्शन होते हैं. जो छात्र इंजीनियरिंग करने की प्लानिंग रखते हैं वो खासतौर पर  फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ्स चुनते हैं. जिनको मेडिकल फील्ड में जाना होता है वो फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायलॉजी का चुनाव करते हैं. और जो छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल दोनों फील्ड का ऑप्शन ओपन रखना चाहते हैं वो फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स और बायलॉजी सबजेक्ट लेते हैं. इन तीन या चार विषयों के अलावा एक इंगलिश भी जरूरी विषय है. पांचवा सबजेक्ट हिंदी, फिजिकल एजुकेशन, कंप्यूटर जैसे सब्जेक्ट में से छात्र अपनी चॉइस का एक सबजेक्ट ले सकते हैं.


साइंस का स्कोप
अगर आपने 12वीं में फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ्स से पढ़ाई की है तो आप मेडिकल छोड़कर बाकी सब फील्ड में डिग्री और डिप्लोमा कर सकते हैं. 12वीं के बाद इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर सकते हैं, डिग्री कोर्स( बीटेक या बीई) कर सकते हैं और बाद में मास्टर डिग्री के लिए एमटेक कर सकते हैं. तो चलिए सबसे पहले हम आपको इंजीनियरिंग डिप्लोमा और डिग्री के बारे में बताते हैं.

इंजीनियरिंग डिप्लोमा
12वीं के बाद देशभर के सरकारी या प्राइवेट इंस्टीट्यूट से आप पॉलिटेक्निक का डिप्लोमा कर सकते हैं. ये तीन साल का डिप्लोमा है जिसमें सरकारी कॉलेज के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम भी देना पड़ता है. प्राइवेट कॉलेज के अपने टेस्ट और क्राइटिरिया होते हैं एडमिशन के लिए.

पॉलिटेक्निक डिप्लोमा इन सब्जेक्ट में कर सकते हैं

- डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस
- डिप्लोमा इन कैमिकल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

दरअसल सबसे ज्यादा नौकरियां इन्ही फील्ड्स में होती हैं इसलिए छात्र इन स्ट्रीम्स को वरीयता देते हैं लेकिन इन पांच के अलावा माइनिंग, मरीन, टैक्सटाइल, पावर इंजीनियरिंग में भी डिप्लोमा करने का ऑप्शन है. डिप्लोमा के बाद आप सीधे नौकरी के लिए अप्लाई कर सकते हैं या डिग्री कोर्स के लिए बीटेक में एडमिशन ले सकते हैं. डिप्लोमा करने के बाद डिग्री कोर्स में आपको 1 साल की छूट मिल जाती है और आप सीधे दूसरी साल में जा सकते हैं.

बीटेक( बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी)
इंजीनियरिग का सबसे पॉपुलर कोर्स है बीटेक जो कि चार साल का डिग्री कोर्स है और ये ग्रेजुएशन के बराबर माना जाता है. कुछ कॉलेज में ये कोर्स बीई( बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग) के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि बीटेक और बीई में बस डिग्री के नाम का ही अंतर है, कोर्स,, सबजेक्ट, सिलेबस, समय सीमा लगसभ सब एक समान है. छात्रों में बीटेक करने का क्रेज इतना है कि देशभर में लाखों छात्र हर साल इस डिग्री के लिए एडमिशन लेते हैं. बीटेक के टॉप कॉलेज में आईआईटी और एनआईटी का नाम है इसके अलावा हजारों प्राइवेट कॉलेज खुले हुए हैं जहां से छात्र बीटेक की डिग्री ले सकते हैं.

बीटेक का एंट्रेंस एग्जाम
देशभर से लाखों छात्र बीटेक करने का सपना देखते हैं इसीलिए इसलिए बीटेक के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना पड़ता है। बीटेक के लिए नेशनल लेवल पर जेईई एग्जाम होता है जिसके बाद आईआईटी और एनआईटी  में एडमिशनल मिलता है. स्टेट यूनिवर्सिटीज और तमाम दूसरे सरकारी और प्राइवेट कॉलेज कई बार अपने कॉलेज के लिए राज्य स्तर पर भी टेस्ट लेते हैं. और इनमें से कुछ कॉलेज जेईई के स्कोर को भी मान्य मानते हैं और उसके स्कोर के मेरिट के आधार पर एडमिशन देते है.

जेईई की फुलफॉर्म जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन है लेकिन छात्रों के बीच ये जेईई के नाम से ही जाना जाता है. बीटेक में एडमिशन के लिए जेईई मेन्स का एग्जाम होता है और इसमें आये नंबरों के बेसिस पर आईआईटी और एनआईटी जैसे टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिलता है. जेईई का एग्जाम काफी टफ माना जाता है  और ये जेईई एडवांस के लिए एक तरह का ऐलिजिबिलिटी टेस्ट है. जेईई के एग्जाम में मेनली 11वीं और 12वीं के साइंस के सब्जेक्ट्स के आधार पर टेस्ट होता है. जेईई का मेन्स निकालने के बाद दूसरा लेवल जेईई एडवांस टेस्ट है. जेईई मेन का एग्जाम पास करने वाले करीब 22400 छात्रों के एडवांस टेस्ट देने का मौका मिलता है। इन दोनों टेस्ट में आये नंबरों की मेरिट के आधार पर आईआईटी और एनआईटी और दूसरे कॉलेज में बीटेक के लिए एडमिशन होता है. वैसे तो बीटेक के सभी स्ट्रीम में जॉब की बहुत अच्छी संभावना है लेकिन नीचे लिखी ब्रांच इंजीनियरिंग में टॉप प्रेफरेंस होती हैं


- कंप्यूटर साइंस
- इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग
- केमिकल इंजीनियरिंग
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- सिविल इंजीनियरिंग
- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

इनके अलावा एग्रीकल्चर, बायोमेडिकल, एनर्जी, पावर, टेक्सटाइल जैसी कई और ब्रांच भी होती है जो कई इंजीनियरिंग कॉलेज में  पढ़ाई जाती हैं.

जॉब ऑप्शन
अच्छे कॉलेज से बीटेक करने के बाद बहुत अच्छी नौकरी लगने की संभावना रहती है इसीलिए देशभर के छात्र टॉप कॉलेज से बीटेक करने का सपना देखते हैं. आईआईटी और एनआईटी जैसे कॉलेज से कैंपस प्लेसमेंट होता है जिसमें टॉप आईटी और दूसरे फील्ड्स की कंपनियां डायरेक्ट भर्ती करती हैं। इसमें सरकारी कंपनियां भी प्लेसमेंट के लिए आती हैं. अगर बीटेक के बाद पीएसयू में नौकरी करने का मन हो तो गेट( ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट फॉर इंजीनियरिंग ) का एग्जाम निकाल सकते हैं. काफी पीएसयू कंपनी जैसे ONGG, NTPC SAIL, BHEL, CII, ISRO, BARC गेट के स्कोर के आधार पर नौकरी देती हैं. इसके अलावा बीटेक के बाद आईईएस( इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस) का एग्जाम देकर सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी कर सकते हैं. टॉप कॉलेज से बीटेक करने पर लाखों की सैलरी वाले जॉब्स के ऑफर मिलते हैं. इसके अलावा किसी भी कॉलेज से बीटेक करने के बाद नौकरी मिलने की अच्छी संभावना बनी रहती है. अगर बीटेक के बाद नौकरी ना करके आगे पढ़ने का मन है तो एमटेक( मास्टर ऑफ टेक्नॉलोजी) या एमबीए का ऑप्शन भी ओपन है.

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