CBSE 12th Result 2017: ये हैं गुदड़ी के लाल, किसी के पिता मजदूर तो किसी के हॉकर...
नई दिल्ली: सीबीएसई बोर्ड के बारहवीं क्लास के नतीजों में कुछ टॉपर बच्चे ऐसे भी हैं जिन्होंने कठिन परिस्थियों में संघर्ष करके सफलता हासिल की. 95% या उससे ज्यादा अंक पाने वाले इन बच्चों में से किसी के पिता मज़दूरी करते हैं, तो किसी के पिता हॉकर हैं. मंगलवार को ऐसे ही बच्चों को राजधानी दिल्ली में शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सम्मानित किया.
मज़दूरी करते हैं रामेश्वर के पिता
चीफ मिनिस्टर स्कॉलरशिप पाने वाले और बारहवीं में 96.2% अंक हासिल करने वाले रामेश्वर मिश्रा से जब शिक्षा मंत्री ने पूछा कि उसके पिता क्या करते हैं, तो रामेश्वर ने बताया कि प्राइवेट जॉब करते हैं लेकिन तब शिक्षा मंत्री ने खुलासा किया कि उसके पिता मज़दूरी करते हैं.
डॉक्टर बनना चाहते हैं कृष्ण कुमार
50 गज के किराए के मकान में रहने वाले कृष्ण कुमार शर्मा के पिता मज़दूरी करके उसे पढ़ा रहे हैं. कृष्ण कुमार ने बारहवीं में बिना ट्यूशन के 95% अंक हासिल किए हैं. कृष्ण कुमार डॉक्टर बनना चाहते हैं.
अखबार बेंच कर दिव्या को पढ़ा रहे हैं उसके पिता
शुभम पाल के पिता ड्राइवर हैं. शुभम ने सीएम स्कॉलरशिप हासिल की और 95% अंक भी हासिल किए हैं. तो वहीं दिव्या के पिता दिल्ली में अखबार बेंच कर उसको पढ़ा रहे हैं. राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय की दिव्या ने 95.2% अंक हासिल किए हैं और वह प्रोफेसर बनना चाहती है. रचना और आकृति के पिता सेल्समैन हैं और दोनों ने 96% अंक हासिल किए हैं.
काजल ने 12वीं की परीक्षा में पाए 95% अंक
काजल राना ने सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा 95% से पास की है. काजल के पिता एक मजदूर हैं. लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को पढाई के लिए प्रेरित किया. काजल ने इंटरमीडिएट के साथ मेडिकल की जीप्मर परीक्षा भी पास की है. काजल डॉक्टर बनना चाहती है.
न्यूरो सर्जन बनना चाहती हैं प्रभा
96.3% अंक पाने वाली छात्रा प्रभा के मुताबिक उनके बड़े भाई की साल 2014 में 19 साल की उम्र में मौत हो गई. प्रभा न्यूरो सर्जन बनना चाहती हैं क्योंकि उसके भाई को मस्कुलर डिस्त्रोफि थी. इनकम बताने में उनके पिता का चेहरा मुरझा जाता है.
कुल 86 छात्रों को किया गया सम्मानित
मंगलवार को केंद्रीय विद्यालय के 31 और जवाहर नवोदय विद्यालय के 10 छात्रों समेत कुल 86 छात्रों को सम्मानित किया गया. इन बच्चों में 95% से ज्यादा अंक पाने वाली तीन ऐसी आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्राएं भी शामिल हैं जो अलग-अलग आर्मी, एयर फोर्स और नेवी में जाना चाहती हैं. हालांकि जब कई होनहार बच्चों ने शिक्षा मंत्री के सामने सीए बनने को अपना सपना बताया तो शिक्षा मंत्री ने इसे नये ट्रेंड के रूप में देखा.
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