नई दिल्लीः आजकल हर तरफ बोर्ड एग्जाम की ही चर्चा है. कोई तैयारियों को लेकर व्यस्त है तो कोई याद किया भूल जाने की चिंता में है. कहीं रिवीज़न की हड़बड़ है तो कोई किसी विषय विशेष को लेकर तनाव में है. कारण कोई भी हो पर लगभग हर स्टूडेंट बोर्ड एग्जाम को लेकर थोड़ा-बहुत चिंतित तो रहता ही है. यह स्ट्रेस जब तक सीमा में है तब तक तो ठीक है पर कई बार यह इतना बढ़ जाता है कि छात्र के प्रदर्शन और सेहत पर असर डालने लगता है. आज हम बोर्ड एग्जाम के दौरान और पहले होने वाले स्ट्रेस और एनजाइटी को कैसे कम कर सकते हैं, इस बारे में बात करेंगे.


मां-बाप का है अहम रोल


एग्जाम स्ट्रेस के बारे में बात करते हुए एजुकेशन काउंसलर डॉ. अमिता बाजपेयी का कहना है कि बच्चे का एग्जाम स्ट्रेस कम करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं माता-पिता. बच्चा जाहिर करे या ना करे पर अभिभावकों की कही बातें और उनका व्यवहार उन पर सबसे ज्यादा असर डालता है. ठीक उसी प्रकार अभिभावक की एनजाइटी भी बच्चे पर सीधा प्रभाव डालती है, जिसका उन्हें कई बार पता भी नहीं चलता. इसलिए सबसे पहले पैरेंट्स खुद को एनजाइटी से बचाएं और बोर्ड एग्जाम को हव्वा ना बनाएं. बच्चों को समझाएं कि इस पेपर की सफलता उनके जीवन की दिशा नहीं तय करेगी. इसलिए शांत मन से बिना किसी दबाव के परीक्षा दें. यकीन मानिए पैरेंट्स के मुंह से सुनें ये शब्द बच्चे पर जैसा सकारात्मक असर डालते हैं, वैसा कोई बाहरी मोटीवेशन नहीं डालता.


एक्सरसाइ देंगी आराम


एग्जाम्स के समय नोर्मली बच्चों का सोचना होता है कि दिन-रात केवल पढ़ाई करें बाकी चीजों को बाद में समय दिया जा सकता है. दरअसल बाकी चीजों को बाद में समय दें पर एक्सरसाइज का सही वक्त अभी है. दिन में कम से कम 15 मिनट निकालें और जो भी आपको पसंद हो, उस फॉर्म में व्यायाम करें. वॉकिंग, स्वीमिंग, डांसिंग, योगा, कार्डियो, ट्रेडमिल जो भी आपके लिए संभव हो जरूर करें. इससे रक्त संचार बढ़ता है, टूटे सेल्स रिप्लेस होते हैं और दिमाग नई चीजें करने और नए चैलेंजेस के लिए तैयार होता है. अगर कोई गेम खेलते हैं, तो वह भी कर सकते हैं, मुख्य मुद्दा फिजिकल एक्टिविटी करने का है.


कुछ व्यायाम दिमाग के लिए


ये तो थी फिजिकल एक्सरसाइजेस की बात पर दिमाग को शांत रखने के लिए भी कुछ व्यायाम हैं, जिन्हें ट्राय किया जा सकता है. इस बारे में बात करते हुए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना गुप्ता कहती हैं कि बच्चों को एग्जाम के समय जो तनाव होता है, उससे बचने के उपाय तो करने ही चाहिए साथ ही अगर किसी घड़ी लगे की उनसे नहीं संभल रहा है तो एक दो सेशन के लिए प्रोफेशनल की हेल्प लेने में कोई बुराई नहीं है. इसके साथ ही टनल विजन और बाकी एक्सरसाइजेस भी ट्राय कर सकते हैं. टनल विजन के लिए चेयर- टेबल पर सीधे बैठ जाएं और अपनी हथेलियों से दोनों आंखों को कवर कर लें. तीस तक गिनें और आंखें खोल लें. ऐसा तीन बार करें. जिन बच्चों की एकाग्रता बहुत टूटती है या जिनको लगता है की पढ़ा याद नहीं रहता, उन्हें ये मदद करेगी. इसके अलावा एक अन्य एक्सरसाइज में सीधे बैठ जाएं और दोनों तरफ की कनपटी को अपने हाथ की उंगली से धीरे-धीरे प्रेस करें. ऐसा करते जाए और एक बार में 90 तक बोल-बोलकर गिनें. ऐसा दो बार करें. जब भी बहुत घबराहट हो, इसे ट्राय करे आराम मिलेगा.


बात करने से ही बात बनती है


सबसे जरूरी बिंदु है अपनी बात किसी से कहना. जब स्ट्रेस संभल ना रहा हो या इतना बढ़ जाए कि उसके फिजिकल लक्षण दिखने लगें तो किसी की मदद ले लेना ही ठीक रहता है. अगर घर में या किसी जानने वाले से बात नहीं करना चाहते तो काउंसलर की सहायता लें. अब तो कई संस्थाएं फ्री काउंसलिंग सेवाएं देती हैं. इनसे चैट, टॉल फ्री नंबर पर कॉल, ईमेल किसी भी माध्यम से संपर्क किया जा सकता है. बेहतर होगा अपनी परेशानी को लेकर अंदर ही अंदर घुटने के बजाय किसी से मदद मांग लें. थोड़ा बहुत स्ट्रेस चलता है को आधार बनाकर इसे इग्नोर ना करें, क्योंकि कब थोड़ा स्ट्रेस ज्यादा में बदलकर व्यवहारिक परेशानियां खड़ी करने लगता है पता भी नहीं चलता.


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मिनी ब्रेक्स हैं बहुत जरूरी


पढ़ाई के बीच-बीच में ब्रेक लेना ना सिर्फ दिमाग को रिफ्रेश करता है बल्कि ब्रेन की इफीशियेंसी भी बढ़ा देता है. इस बारे में बात करते हुए जनरल फिजीशियन और साइकैट्रिस्ट डॉ. उन्नति कुमार का कहना है कि, बीच में छोटे ब्रेक आपकी प्रोडक्टीविटी को बढ़ाते हैं. मां-बाप के लिए जरूरी है कि बच्चे को समय से खाने-पीने, सोने के लिए प्रेरित करें पर अगर बच्चा नहीं मानता जैसा की कुछ एनक्सस नेचर के बच्चे करते हैं तो उनसे लड़ें नहीं. उन पर दबाव न बनाएं. वे अपने मन की ही करते हैं और इससे ही उन्हें शांति मिलती है. उन्हें ऐसा करने दें.


कुछ महत्वपूर्ण बिंदु -


ऊपर लिखी बातों का ध्यान रखने के अलावा भी कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जिनका इस्तेमाल स्ट्रेस से निकलने में किया जा सकता है.


1. मेडिटेशन करें. हर स्टडी सेशन के पहले पांच मिनट आंखें बंद करके बैठें और दिमाग को शांत करने का प्रयास करें. जो विचार मन में आते हैं, उन्हें आने दें.


2. भरपूर नींद लें. क्योंकि परीक्षा आ गयी है तो अब एक रात जागने से कोई लाभ नहीं होने वाला. बेहतर होगा अपनी सेहत का ध्यान रखें और सात से आठ घंटे की नींद लें. आपका दिमाग इसी समय बॉडी सेल्स की टूट-फूट सही करता है, इसमें अड़ंगा न बनें.


3. खुद को रिवार्ड दें. जब कोई टॉपिक या कोई भी स्टडी गोल अचीव कर लें तो खुद को कोई मनपसंद चीज देकर खुश करें. सेल्फ अप्रेज़ल बहुत अहम है.


4. फालतू की चर्चाओं से दूर रहें. जितना किसी विषय के बारे में चर्चा करेंगे, उतना तनाव बढ़ेगा. लोगों से मिलें, पर तैयारियों को लेकर संवाद ना करें तो ही बेहतर.


5. संगीत सुनें. म्यूजिक दिमाग को रिलैक्स करने में बहुत सहायता करता है. तनाव दूर करता है और दिमाग को किसी खास चिंता से हटाता है.


6. मां-बाप के लिए जरूरी है कि बच्चे की तुलना ना करें और जितना हो सके उसको मोटिवेट करने की कोशिश करें. उसकी बात सुनें और पेशेंस के साथ उसे अपनी बात समझाएं.


7. जैसा की सीबीएसई की चेयरपर्सन अनीता करवाल ने अपने लेटर में कहा है कि बोर्ड एग्जाम के नतीजों से जिंदगी नहीं चलती. कई बार जिन्होंने अच्छे अंक नहीं प्राप्त किए वे अच्छे अंक पाने वालों की तुलना में जिंदगी में अच्छे मुकाम पर हैं. इसलिए परीक्षाओं को परेशानी का सबब ना बनने दें.


आखिर में स्टूडेंट्स को यही सुझाव दिया जाता है कि ये परीक्षाएं जिंदगी की पहली और आखिरी परीक्षा नहीं हैं. अपना बेस्ट दें पर फिर भी कहीं कोई कमी रह जाती है, परीक्षा के पहले या परीक्षा के बाद, तो तनाव ना लें, क्योंकि आप और आपकी जिंदगी किसी बोर्ड परीक्षा से बहुत ज्यादा कीमती है. तनाव को दीमक की तरह खुद को खाने ना दें.


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