नई दिल्लीः कुछ ही दिनों में बोर्ड के पेपर शुरू हो जायेंगे. आजकल एग्जाम देने वाले छात्र-छात्रा दिन रात बस तैयारियों में लगे हैं. अगर विषयों की तैयारी के बारे में बात की जाये तो अब तक मुख्य तैयारियां हो चुकी होंगी, यह समय रिवीज़न का और तैयारियों को फिनिशिंग टच देने का है. आज हम आपसे शेयर करेंगे कुछ टिप्स जिनका इस्तेमाल आपको आंसर लिखते समय करना है. इन कुछ छोटी पर जरूरी बातों का ध्यान रखकर आप और भी अच्छे अंक पा सकते हैं.


न लिखें कहानियां –
विद्यार्थी के हाथ में जब क्वेश्चन पेपर आता है तो कुछ प्रश्न उसे आते हैं, कुछ नहीं. शुरुआत उन्हीं प्रश्नों से करें जो आपको अच्छे से आते हैं. इनसे कॉफिडेंस लेवल बढ़ता है. उत्तर लिखते समय टू द प्वॉइंट बात करें. मुख्य बिंदुओं को पहले लिखें और फालतू की कहानियां न बनायें. इस बारे में शीलिंग हाऊस स्कूल की प्रिंसिपल वनिता मेहरोत्रा का भी यही कहना है. उनके अनुसार, “बोर्ड एग्जाम में विद्यार्थी उत्तर में की प्वॉइंट्स पहले लिखें बाद में दूसरे बिंदुओं पर जायें. आंसर जितना प्रिसाइज़ लेकिन कंप्लीट होगा उतना अच्छे अंक पाने की संभावना होती है. वैसे तो अंक तकनीकी आधार पर सही उत्तरों को ही मिलते हैं पर साफ-सुथरी तरीके से प्रेजेंट किये गये उत्तर, आंसर शीट चेक करने वाले को आकर्षित करते हैं, क्योंकि जो कॉपियां जांच रहे हैं वे मशीन न होकर इंसान हैं. ऐसे में नीट प्रेजेंटेशन पर आधा अंक आसानी से पाया जा सकता है”.


डायग्राम्स और ग्राफ्स का करें ज्यादा प्रयोग –
लिखित सामग्री का अपना महत्व होता है पर डायग्राम्स और ग्राफ्स या कहें पिक्चर प्रेजेंटेशन आंसर में जान डाल देते हैं. आंसर को प्रभावशाली बनाने के लिये सही उत्तर सटीक तरह से लिखने के बाद डायग्राम्स का प्रयोग करें. डायग्राम्स बनाते समय भी ध्यान रखें कि बहुत सलीके से समय ज्यादा खपा कर चित्र नहीं बनाना है, मुख्य होती है लेबलिंग. चित्रों को जितना ज्यादा लेबल करेंगे, उतना पूरे अंक मिलने की संभावना बढ़ेगी. अगर स्कोप हो तो टेबल्स भी बनायें. आंसर को बिंदुओं के रूप में लिखें. हेडिंग, सबहेडिंग्स का भी जरूरत के मुताबिक खूब प्रयोग करें. कुछ महत्वपूर्ण लिखा हो और उत्तर लंबा हो तो मुख्य प्वॉइंट्स को रेखांकित जरूर करें.


डेकोरेशन में समय न गंवायें –
आंसर्स को अच्छे से प्रेजेंट करना अलग बात है और जबरदस्ती की डेकोरेशन करना अलग चीज़ है. खूब सारे रंग भरकर, हर विषय को चित्रकला के विषय में न परिवर्तित करें. डायग्राम्स को कोशिश भर साफ बनायें, अच्छे से लेबलिंग करें और पेंसिल का प्रयोग करें. इनमें रंग न भरें. उत्तर लिखते समय भी अधिक से अधिक दो रंग, काला और नीला का इस्तेमाल करें. नीले से उत्तर लिखें और काले से हेडिंग्स. लाल रंग का कतई इस्तेमाल न करें. किसी प्रकार की डिजाइन आदि बनाकर कॉपी को डेकोरेटिव आइटम में न बदलें.


बेकार का स्पेस न छोड़ें -
उत्तर लिखते समय कॉपी में फालतू का खाली स्पेस न छोड़ें. दो उत्तरों के बीच में दो लाइन का स्पेस छोड़ना जहां कॉपी को साफ दिखाता है वहीं बेकार का गैप देना बचकाना लगता है. कॉपी भरने का प्रयासमात्र जान पड़ता है. उत्तर लिखने से पहले थोड़ा सा स्थान खाली छोड़कर लिखना शुरू करें और चाहें तो हर उत्तर के बाद लाइन खींच सकते हैं. किसी भी प्रकार की लाइन को खींचने के लिये हमेशा स्केल का यूज़ करें. आड़ी-बेड़ी रेखाएं अच्छी नहीं लगतीं. दो शब्दों के बीच में भी इतनी जगह रखें कि वह आराम से पढ़ने में आयें. शुरू में अच्छी और अंत आते-आते राइटिंग का खराब हो जाना सामान्य है पर पूरे पेपर को समय सीमा में कुछ इस तरह बांटें की अंत में समय कम न पड़े.


रफ वर्क करें अलग –
ज्यादातर विषयों में रफ काम करने की जरूरत पड़ती ही है, खासतौर पर मैथ्स औऱ न्यूमेरिकल सॉल्व करते समय. कॉपी के पिछले पन्ने पर रफ वर्क करें ताकि कॉपी साफ लगे और बहुत ज्यादा जगह चाहिये हो तो बायें हाथ के पन्ने पर रफ काम करें, ऐसा करना अच्छा माना जाता है. अगर कहीं कोई गलती हो जाये तो उसे सिम्पली एक बार काट दें. बार-बार काटा पीटी या गाढ़ी इंक चलाकर उसे ढ़कने के चक्कर में पन्ना न फाड़ दें. कोशिश करें आवोर राइटिंग न हो. और अगर गलती हो भी जाये तो शब्द काटकर नया लिख दें. बार-बार पेन चलाकर गलती सुधारने की कोशिश न करें.


करें 15 मिनट का भरपूर प्रयोग –
पेपर शुरू होने के पहले अधिकतर बोर्ड्स में 15 मिनट का समय अतिरिक्त दिया जाता है. इस समय का उपयोग क्वेश्चन पेपर पढ़ने के साथ ही पूरे पेपर के भागों को नियत समय में बांटने में करें. जैसे अगर पेपर तीन भाग में है तो सेक्शन ए के लिये 15 मिनट, सेक्शन बी के लिये 30 मिनट और सेक्शन सी जोकि लांग आंसर है के लिये 50 मिनट. इन पचास मिनटों में भी अगर दो प्रश्न करने हैं तो एक को पच्चीस मिनट. घड़ी देखते जायें और अपने लिये खुद बनाई समय सीमा में उत्तर खत्म करें. अन्यथा कितनी भी कोशिश कर लें कुछ प्रश्न या तो छूटते ही हैं या जितना अच्छे से आप लिखना चाहते हैं, उतना लिख नहीं पाते. इसमें अभ्यास का भी बहुत बड़ा हाथ होता है. जैसा की सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल की प्रिंसिपल शिखा बनर्जी का कहना है “ लेखनी का बहुत महत्व होता है और अच्छी लेखनी का एक ही उपाय है खूब लिख-लिख कर अभ्यास करना. अगर आपने रिवीज़न के दौरान खूब लिख लिया तो न पेपर छूटता है और न अंत तक आते-आते लेखनी बिगड़ती है. इसलिये ओरल पढ़ने के साथ ही लिखने की प्रैक्टिस जरूर करें”.


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