Why CBSE’s Class Size Rule Is Opposed By Some Schools: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने क्लास का साइज क्या होना चाहिए इस नियम को लेकर फिर बात की है. बोर्ड का कहना है कि एक क्लास में 40 से अधिक बच्चा नहीं होना चाहिए. इसके लिए स्कूलों को तीन साल का अल्टीमेटम भी दिया गया है कि वे अगले तीन साल में इस बाबत जरूरी व्यवस्थाएं कर लें और इस बात का ध्यान रखें कि एक कक्षा में 40 से अधिक स्टूडेंट्स न हों.
पुराना है ये नियम
दरअसल ये नियम पुराना है और साल 2019 में इस बाबत नियम पारित हुआ था जब बोर्ड ने कहा था कि एक सीबीएसई स्कूलों में एक क्लास में 40 से अधिक स्टूडेंट्स नहीं होने चाहिए. तभी कोविड आ गया और माहौल को देखते हुए स्कूलों को इस नियम में न बांधने की छूट दी गई. तब से लेकर आज तक ये नियम नहीं माना जा रहा है लेकिन सीबीएसई एक बार फिर से इसे लेकर सख्त हुआ है.
तीन साल का समय दिया गया है
इस बात की गंभीरता को समझते हुए कि किसी क्लास से एकदम से छात्रों की संख्या कम नहीं की जा सकती, बोर्ड ने तीन साल का समय स्कूलों को दिया है. वे 2025-26 तक इस नियम को लागू कर सकते हैं. हालांकि जो स्कूल ये नियम नहीं मानते उन पर एक्शन लिया जाएगा.
स्कूल क्यों कर रहे हैं विरोध
इस बाबत कुछ स्कूलों ने विरोध के स्वर लगाना शुरू कर दिए हैं. उनका कहना है कि इस नियम से स्कूल पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. बच्चे कम करने के लिए और उन्हें स्कूल में एकोमडेट करने के लिए नये क्लास, टीचर, फैसिलिटी, इंफ्रस्ट्रक्चर सभी की जरूरत पड़ेगी. थोड़े से बच्चों के लिए ये इंतजाम स्कूल पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा. वहीं अगर इसकी भरपायी के लिए ट्यूशन फीस वगैरह बढ़ायी जाती है तो पैरेंट्स पर बोझ पड़ेगा. इसलिए इस नियम को लागू करना ठीक नहीं है. केरल और चंडीगढ़ के स्कूलों ने इस नियम का विरोध किया है.
यह भी पढ़ें: SSC ने जारी किया एग्जाम कैलेंडर, यहां करें चेक
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI