नई दिल्लीः सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन यानी सीबीएसई ने छोटे बच्चों के स्ट्रेस को दूर करने और ख़ुशनुमा माहौल में पढ़ाई कराने के लिए 23 दिसम्बर 2005 के एक सर्कुलर को दोबारा सभी स्कूलों को भेजा है.
23 दिसम्बर 2005 के सीबीएसई के सर्कुलर में छोटे बच्चों के लिए कुछ निर्देश दिए गए थे जिसे दोबारा गम्भीरता से लागू कराने के लिए सीबीएसई ने इसे फिर से सभी सम्बद्ध स्कूलों को भेजा है. इसके मुताबिक़ सीबीएसई के स्कूलों के प्रधान अध्यापकों के लिए कुछ विशेष आदेश दिए गए हैं जिनका स्कूलों में पालन कराया जाना जरूरी है.
इस सर्कुलर को दोबारा जारी करते हुए सभी स्कूलों के प्रिंसिपल को कहा गया है कि
1. क्लास वन और क्लास टू के बच्चे अपनी पुस्तकें स्कूल में ही छोड़ सकते हैं. स्कूल में ऐसी सुविधाएं होनी चाहिए.
2. दूसरे निर्देश में कहा गया है कि क्लास वन और क्लास टू में पास या फ़ेल का सिस्टम नहीं होगा.
3. क्लास 3 से 5 तक के लिए होमवर्क के बजाए और विकल्पों पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
4. पहली कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए लगातार और व्यापक मूल्यांकन का परिचय कराया जाए.
5. बच्चों की रिपोर्टिंग में स्कूल में हासिल की गई उपलब्धियों के साथ ही पांच प्वांइंट की ग्रेडिंग होनी चाहिए.
6. बच्चों को कक्षा लाइब्रेरी से परिचित कराया जाना चाहिए.
7. प्राइमरी स्तर पर ही संगीत, नृत्य और कला जैसे विषयों से बच्चों को रूबरू कराया जाना चाहिए जिससे उनकी भाव्यात्मक बुद्धि का विकास हो सके.
सीबीएसई के इस सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि ये सारे कदम काफी सोच विचार के बाद लिए गए हैं और बच्चों के सीखने की प्रक्रिया के दौर को तनावपूर्ण बनने से रोकने के लिए हैं. सीबीएसई ने पाया है कि कई स्कूल इन निर्देशों का ठीक से और पूरी तरह पालन नहीं कर रहे हैं और सभी स्कूलों को इन दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है जिससे बच्चों के लिए सीखने का दौर आसान बना रहे. सीबीएसई इस बात का पूरा ध्यान रखेगा कि इन निर्देशों का उल्लंघन न किया जाए. हालांकि इस बात का ख्याल रखा जाए कि नो पास-फेल सिस्टम का मतलब ये नहीं है कि कोर्स को जारी रखने के लिए किसी एग्जाम को ही नहीं कराया जाएगा.
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI