धर्मनिरपेक्षता, नागरिकता से संबंधित पाठों को हटाने पर हुआ बवाल तो CBSE ने दी सफाई, कहा- बदलाव केवल 2020-21 सत्र के लिए
बता दें कि सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में अगले साल धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, नागरिकता, नोटबंदी और लोकतांत्रिक अधिकार से संबंधित पाठों तथा कई अन्य पाठों को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए कक्षा नौवीं से 12वीं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को घटाते हुए बुधवार को नया पाठ्यक्रम अधिसूचित किया. इसको लेकर काफी बवाल हुआ. हालांकि अब सीबीएसई ने इसपर सफाई पेश की है.
सीबीएसई ने कहा है कि सत्र 2020-21 के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लगभग 190 विषयों के पाठ्यक्रम में बदलाव केवल एक बार के लिए किया गया है.
Rationalization of syllabus up to 30% undertaken for nearly 190 subjects of class 9th to 12th for academic purposes for session 2020-21 as a one time measure only: CBSE on reports of it leaving out topics such as federalism, nationalism & secularism from Class 11 books pic.twitter.com/qsTGVs5WRY
— ANI (@ANI) July 8, 2020
सीबीएसई ने पाठ्यक्रम संबंधी विवाद पर कहा, ''पाठ्यक्रम से जिन विषयों को हटाया गया है, उन्हें लॉकडाउन के दौरान स्कूलों में लागू वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर के तहत पहले की पढ़ाया जा चुका है. पाठ्यक्रम से जिन विषयों को हटाया गया है, 2021 बोर्ड परीक्षाओं में उनसे कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा
बता दें कि सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में अगले साल धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, नागरिकता, नोटबंदी और लोकतांत्रिक अधिकार से संबंधित पाठों तथा कई अन्य पाठों को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है. इसको लेकर विपक्ष समेत कई अन्य लोग भी विरोध कर रहे हैं. अब सीबीएसई ने इसी को लेकर सफाई पेश की है.
दरअसल CBSE ने कोरोना वायरस संकट के बीच विद्यार्थियों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के मद्देनजर यह फैसला लिया. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए कक्षा नौवीं से 12वीं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को घटाते हुए बुधवार को नया पाठ्यक्रम अधिसूचित किया. अद्यतन पाठ्यक्रम के मुताबिक, 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटाए गए पाठ वे हैं जो लोकतंत्र एवं विविधता, लिंग, जाति एवं धर्म, लोकप्रिय संघर्ष एवं आंदोलन और लोकतंत्र के लिए चुनौतियां जैसे विषय से संबंधित थे.
वहीं, 11वीं कक्षा के लिए हटाए गए हिस्सों में संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और भारत में स्थानीय सरकारों के विकास से संबंधित पाठ शामिल हैं. इसी तरह, 12वीं कक्षा के छात्रों को भारत के अपने पड़ोसियों- पाकिस्तान, म्यामां, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के साथ संबंध, भारत के आर्थिक विकास की बदलती प्रकृति, भारत में सामाजिक आंदोलन और नोटबंदी सहित अन्य विषय पर पाठों को नहीं पढ़ना होगा.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एएचआरडी) के अधिकारियों के मुताबिक पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों का बोझ कम करने के लिए घटाया गया लेकिन मुख्य अवधारणाओं को जस का तस रखा गया है. सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम भार में अनुपातिक कमी के लिए शिक्षण संबंधी समय के नुकसान का आकलन किया गया. इस के अनुसार, बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति ने सिलेबस घटाने पर काम शुरू किया. विभिन्न पक्षधारकों से सुझाव मांगे गए थे.”
अधिकारी ने कहा, “स्कूलों के प्रमुखों एवं शिक्षकों को बोर्ड ने सलाह दी है कि वे सुनिश्चित करें कि जिन विषयों को हटाया गया है उनकी जानकारी विद्यार्थियों को दे दी जाए. हालांकि, घटाया हुआ पाठ्यक्रम आंतरिक मूल्यांकन और वर्षांत बोर्ड परीक्षा के लिए विषयों का हिस्सा नहीं होगा.”बता दें कि कोविड-19 प्रकोप की रोकथाम के मद्देनजर विश्वविद्यालयों और स्कूलों को 16 मार्च से बंद रखा गया है.
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

