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गोरिल्ला युद्ध की नई तकीनीकों को जन्म देने वाले शिवाजी महाराज अकेले थे हजार सैनिकों पर भारी, जानें उनसे जुड़े रोचक तथ्य
Chhatrapti Shivaji Maharaj’s Death Anniversary: हर साल 3 अप्रैल के दिन छत्रपति शिवाजी महारीज की डेथ एनिवर्सिरी मनाई जाती है. जानते हैं उनकी बहादुरी के कुछ किस्से और किस साल बने शिवाजी छत्रपति.
Remembering Chhatrapti Shivaji Maharaj On His Death Anniversary: मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले वीर छत्रपति शिवाजी महाराज की डेथ एनिवर्सिरी यानी पुण्यतिथि आज है. आज ही के दिन साल 1680 में उनकी मृत्यु हुई थी. रायगढ़ किले में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी. शिवाजी केवल महान योद्धा नहीं थे बल्कि एक कुशल रणनीतिकार भी थे. 1674 ई. में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी. उन्होंने कई सालों तक मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया और औरंगजेब के शासन में जमकर मुकाबाला किया. सन 1674 में 44 साल की उम्र में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने. जानते हैं शिवाजी और उनकी बहादुरी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.
शिवाजी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- राज गद्दी संभालने के बाद शिवाजी को केवल 2 हजार मराठा सैनिकों की फौज मिली थी जिसे उन्होंने 10 हजार सैनिकों में बदला. राजकाज की भाषा फारसी थि जिसे उन्होंने मराठी में बदला.
- शिवाजी ने गोरिल्ला युद्ध की नई तकनीकों को जन्म दिया और वे अकेले ही हजारों सैनिकों के लिए काफी होते थे. उन्हें युद्ध में हराना बहुत मुश्किल था.
- पुराने लोगों का मानना है कि शिवाजी का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया था जबकि कुछ कहत हैं कि स्थायी देवता के नाम पर उनका नाम शिवाजी पड़ा.
- वे महिलाओं के अधिकारों के लिए हमेशा आगे आए. महिलाओं के सम्मान में किसी प्रकार की कमी न आए, उनके राज्य में हमेशा ध्यान में रखा गया. उनके राज में महिलाओं को जेल में डालने की अनुमति नहीं थी.
- शिवाजी महाराज ने आठ अधिकारियों की एक परिषद, अष्ट प्रधान मंडल की स्थापना की, जो अलग-अलग प्रकार के राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर शिवाजी को मार्गदर्शन देते थे.
- छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी नौसेना बनाने के लिए मध्ययुगीन भारत का पहला भारतीय राजा कहा जाता है. उन्होंने 1665 में अपना पहला नौसैनिक अभियान चलाया.
- शिवाजी की औपचारिक शिक्षा नहीं हुई लेकिन उन्हें रामायण और महाभारत की अच्छी जानकारी थी और वे हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने में यकीन करते थे.
- वे धार्मिक भेदभाव के सख्त खिलाफ थे और उनकी नेवी में दौलत खान और इब्राहिम खान जैसे कई वीर सैनिक थे.
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