Education And Career Of CJI DY Chandrachud: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ नीट यूजी मामले के कारण आजकल काफी चर्चा में हैं. इस केस की सुनवाई कर रही तीन जजों की बेंच में से एक चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ हैं. आज जानते हैं उनकी शुरुआती शिक्षा, हायर एजुकेशन और वकालत के करियर के बारे में. उन्होंने कहां से पढ़ाई की है, उनके पास कौन-कौन सी डिग्रियां हैं वगैरह.


पिताजी भी थे वकील


चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के खून में वकालत है, यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा. उनके पिताजी यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 16वें चीफ जस्टिस थे और डीवाई चंद्रचूड़ 50वें चीफ जस्टिस हैं. इनकी मां का नाम प्रभा है और वे ऑल इंडिया रेडियो में सिंगर थी. चीफ जस्टिस का पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है और उनका जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई में हुआ.


यहां से पूरी की स्कूल की पढ़ाई


चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की स्कूलिंग दिल्ली से हुई. वे दिल्ली के सेंट कोलम्बस स्कूल से पढ़े हैं. कॉलेज की पढ़ाई की बात करें तो साल 1982 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से उन्होंने लॉ में बैचलर्स की डिग्री ली थी. इसके पहले ही साल 1979 में वे सेंट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली से मैथ्स और इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर चुके थे.


हायर एजुकेशन के लिए गए विदेश


चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने लीगल एजुकेशन की शुरुआत हावर्ड यूनिवर्सिटी से की. यहां से उन्होंने साल 1983 में एलएलएम की डिग्री ली. इसके लिए उन्हें ‘इनलैक्स’ नाम की स्कॉलरशिप मिली थी. साथ ही ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ लॉज़’ पाठ्यक्रम में सबसे ज्यादा मार्क्स हासिल करने के लिए उन्हें जोसेफ एच. बीले पुरस्कार भी दिया गया.


इस तरह हुई वकालत की शुरुआत


वे ज्यूडीशियल साइंसेंज में डॉक्टोरल की पढ़ाई पूरी करने के लिए साल 1986 तक हावर्ड में ही रहे. इसके बाद पढ़ाई पूरी करके वे देश वापस लौटे और महाराष्ट्र बार काउंसिल में एडवोकेट के तौर पर इनरोल हुए. वे शुरू से ऐसे लोगों के लिए केस लड़ते रहे जो किसी न किसी वजह से अपने अधिकारों से वंचित रखे गए थे. महिलाओं और वंचितों के लिए उन्होंने बहुत से केस लड़े.


एकेडमिक्स में भी रहे शामिल


वकालत के साथ ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ लीगल एकेडमिक्स में भी इनवॉल्व रहे. बॉम्बे यूनिवर्सिटी में साल 1988 से 1977 तक उन्होंने विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर काम किया.


साल 1988 में उनके करियर ने उड़ान भरी और वे केवल 38 साल की उम्र में सीनियर एडवोकेट बने जो आमतौर पर लोग 40 के बाद बनते हैं. बाद में उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के पद पर अप्वॉइंट किया गया. इसी पद पर उन्होंने साल 2000 तक काम किया.


कब बने मुख्य न्यायधीश


एक दशक तक बॉम्बे हाईकोर्ट में रहने के बाद उन्हें 31 अक्टूबर 2013 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में अप्वॉइंट किया गया. इसके बाद उन्हें 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया और साल 2022 में वे भारत के मुख्य न्यायधीश बने. 


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