DU में पोलिटिकस साइंस HoD की नियुक्ति पर विवाद, शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी पर वरिष्ठता मानदंड की अनदेखी करने का लगाया आरोप
दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन पर शिक्षकों के एक वर्ग ने पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के हेड (HoD) की नियुक्ति में वरिष्ठता मानदंड को दरकिनार करने का आरोप लगाया है. हालांकि डीयू ने आरोपों से इंकार किया है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) प्रशासन पर शिक्षकों के एक वर्ग ने पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के हेड (HoD) की नियुक्ति में तीन सीनियर प्रोफेसरों को हटाकर वरिष्ठता मानदंड को दरकिनार करने का आरोप लगाया है. हालांकि डीयू ने आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि सीनियोरिटी नॉर्म्स की कतई अनदेखी नहीं की गई है.
प्रोफेसर रागी को बनाया गया है राजनीति विज्ञान विभाग का हेड
बता दें कि 14 मई को पूर्व एचओडी वीना कुकरेजा की कोविड की वजह से मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद नए एचओडी के तौर पर संगीत कुमार रागी की नियुक्ति की गई. वहीं अंतरिम में रेखा सक्सेना को कार्यवाहक एचओडी बनाया गया था. 4 जून को, रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था. जिसके मुताबिक, "संविधि 9 (2) (डी) के प्रावधानों के अनुसार अध्यादेश XXIII के साथ और क़ानून 38 के प्रावधानों के अधीन, कुलपति ने प्रो. संगीत कुमार रागी, डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटिकल साइंस को राजनीति विज्ञान विभाग के हेड के रूप में तत्काल प्रभाव से तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है.
रागी की नियुक्ति में वरिष्ठता मानदंड को दरकिनार करने का आरोप
सूत्रों के मुताबिक रागी की नियुक्ति में डीयू प्रशासन ने तीन वरिष्ठ प्रोफेसरों, रेखा सक्सेना, अशोक आचार्य और मधुलिका बनर्जी को भी दरकिनार कर दिया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक “वीना कुकरेजा की एचओडी के रूप में नियुक्ति तक, वरिष्ठता के मानदंड का पालन किया गया था. रेखा सक्सेना 2010 से प्रोफेसर हैं, जबकि रागी 2014 में प्रोफेसर बनीं. तीनों प्रोफेसर जिन्हें दरकिनार किया गया, वे मेरिट प्रमोशन स्कीम (एमपीएस) के माध्यम से प्रोफेसर बने क्योंकि वे पहले से ही विभाग में थे, जबकि रागी को सीधे प्रोफेसर के रूप में लाया गया था. एक वरिष्ठ शिक्षक ने सवाल उठाया है कि किस आधार पर उन्हें एचओडी नियुक्त किया गया है, इस पर स्पष्टता होनी चाहिए.
रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने रागी को बताया सबसे वरिष्ठ
हालांकि, डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता का कहना है कि रागी सबसे वरिष्ठ थे, “सीधे भर्ती और प्रमोटी के बीच सीनियोरिटी का निर्धारण कैसे किया जाए, इस पर चुनाव आयोग (कार्यकारी परिषद) में एक निर्णय था. इस मामले में डायरेक्ट रिक्रूटमेंट वाले 3 नवंबर 2014 को शामिल हुए थे और उनकी सिफारिश को तत्कालीन वीसी ने 1 नवंबर 2014 को मंजूरी दे दी थी. वहीं प्रमोटिज के केस में, चयन समिति की सिफारिश को तत्कालीन वीसी ने 7 नवंबर 2014 को मंजूरी दे दी थी. इसलिए हम वीसी या ईसी की मंजूरी की तारीख से वरिष्ठता निर्धारित करते हैं जो इस मामले में सीधी भर्ती होने वाले को वरिष्ठ बनाता है.
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