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ये फोर्स है सीआरपीएफ की स्पेशल यूनिट, गुरिल्ला युद्ध में है बेहद माहिर, नाम सुनते ही सहम जाते हैं दुश्मन
देश के भीतर मुश्किल इलाकों जैसे जंगल और बीहड़ में छुपे देश के दुश्मनों को ढूंढकर खत्म करने के लिए जानी जाती है कोबरा बटालियन. इस बटालियन की यूनिटों को जम्मू कश्मीर में भी तैनात किया जा रहा है.
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कोबरा कमांडो
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Cobra: देश की आंतरिक सुरक्षा को संभालने के लिए 28 दिसंबर 1949 को गठित हुई केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स सीआरपीएफ के सामने नक्सल और चरमपंथियों से निपटने की बड़ी चुनौती रहती है. घने जंगलों से लेकर बीहड़ तक के इलाकों में इस फोर्स को नक्सल नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए तैनात किया जाता रहा है.
चूंकि जंगल और बीहड़ में छुपे नक्सलियों और चरमपंथियों से निपटने के लिए उन्हीं की तरह समझ और टैक्टिक अपनाने की जरूरत रहती है. इसलिए सीआरपीएफ की एक गुरिल्ला और जंगल वॉरफेयर में महारत रखने वाली यूनिट को तैयार किया गया. नाम रखा गया कोबरा, यानी कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन.
साल 2008 में जब इस कोबरा बटालियन का गठन किया गया तो इसे गुरिल्ला या जंगल वॉरफेयर में मोर्चा लेने के मकसद से तैयार किया गया था. यह बटालियन नक्सलियों और चरमपंथियों जैसे देश विरोधी तत्वों के खिलाफ उन्हीं के इलाकों में घुसकर उन्हें ढेर करने के लिए जानी जाती है. 2008 में गठित इस कमांडो बटालियन की 10 यूनिट वर्तमान में देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रही हैं.
आईजी रैंक का अधिकारी करता है नेतृत्व
आईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में काम करने वाली इस बटालियन को देश की सबसे अनुभवी और सफल कमांडो टीम माना जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि जितने गुरिल्ला वेलफेयर और आंतरिक विवादों से निपटने के लिए इस बटालियन की यूनिटों को लगाया जाता है उतना अभी तक देश की किसी भी यूनिट को एक्सपोजर नहीं मिला है.
इंटेलिजेंस जुटाने की भी दी जाती है ट्रेनिंग
इस बटालियन में शामिल कमांडोज को ट्रेनिंग के दौरान गुरिल्ला वाॅरफेयर के अलावा फील्ड इंजीनियरिंग, विस्फोट को का पता लगाने, जंगल में जान बचाने की टैक्टिक और उग्रवादियों और नक्सलियों से लड़ने के लिए भी तैयार किया जाता है. इनके स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम में जंगल वाॅरफेयर ऑपरेशन की प्लानिंग और उसे पूरा करना शारीरिक क्षमता में जीपीएस, इंटेलिजेंस और हेलीकॉप्टर से कूदना शामिल होता है. कोबरा कमांडो को स्पेशल इंटेलिजेंस कोर्स भी कराया जाता है ताकि वह दुश्मन के इलाके में रहकर दुश्मन के बारे में इंटेलिजेंस जुटा सके और उसके अनुसार अपनी रणनीति बनाकर प्रभावी कार्रवाई कर सकें.
नक्सलियों की तोड़ चुकी है रीढ़
कोबरा बटालियन को नक्सलियों के काल के रूप में जाना जाता है. बटालियन की विभिन्न यूनिट अब तक 61 नक्सलियों को ढेर कर चुकी हैं. यही नहीं, 850 से ज्यादा नक्सलियों और चरमपंथियों को सरेंडर कराने के अलावा गिरफ्तार कर चुकी है. 2011 में नक्सलियों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार भी बरामद किए थे. इस बटालियन के नाम नो वीरता पुरस्कार है जिसमें दो शौर्य चक्र शामिल है.इस बटालियन की यूनिटों को जम्मू कश्मीर में भी तैनात किया जा रहा है.
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