Labhuk Schemes in Bihar: बिहार राज्य के 7716 स्कूलों के करीब दो लाख विद्यार्थियों को लाभुक योजनाओं की राशि से वंचित होना पड़ा है. क्योंकि स्कूलों ने नामांकित बच्चों की हाजिरी पर हां या ना का विकल्प नहीं भरा था. परिणाम स्वरूप शिक्षा विभाग ने इन बच्चों के खाते में लाभुक राशि ट्रांसफर नहीं करा सका. इस मामले को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है.


विभाग के अपर मुख्य सचिव सह डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के नोडल पदाधिकारी गिरिवर दयाल ने सभी डीईओ को बच्चों के लाभुक योजनाओं से वंचित रहने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. इसके लिए उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा है. इसके लिए उनसे पूछा गया है कि किन परिस्तिथियों में नामांकित विद्यार्थियों को उनकी उपस्थिति के आधार पर चिन्हित नहीं किया गया. साथ डीईओ से यह भी पूछा कि संबंधित दोषी व्यक्ति पर क्या कार्रवाई की गई.


नोडल पदाधिकारी गिरिवर दयाल ने डीईओ को चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि यदि उत्तर असंतोषजनक रहा तो आप पर भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि बिहार सरकार ने स्कूलों में हाजिरी में वृद्धि को बढ़ावा देने और शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए लाभुक योजना को लॉन्च किया था. इसके तहत उन छात्र- छात्राओं को शिक्षा विभाग द्वारा उनके खाते में राशि भेजे जाने का प्रावधान है. जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत या उससे अधिक हो.


मेधा सॉफ्ट सॉफ्टवेयर


शिक्षा विभाग ने पहली बार एनआईसी द्वारा मेधा सॉफ्ट नामक नया सॉफ्टवेयर विकसित कराया है. इस सॉफ्टवेयर में सभी विद्यालयों को अपने यहां नामांकित सभी छात्र-छात्रों को उनकी उपस्थिति के आधार पर जानकरी देनी थी. इसमें जिन बच्चों की उपस्थिति 75 फीसदी थी. उनके सामने यस लिखना था और जिनकी हाजिरी 75 प्रतिशत से कम थी उनके सामने नो लिखना था. विभाग द्वारा बार-बार कहने पर भी 7716 स्कूलों ने इसमें लापरवाही बरती. जिसके कारण इन बच्चों को लाभुक योजना की राशि नहीं प्रदान की जा सकी.


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