क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया, जहां विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद और कार्यकारी परिषद की संयुक्त बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में 12 कॉलेजों को मिलने वाले फंडिंग में कमी के मुद्दे पर चर्चा की गई थी. छात्रों ने इन 12 कॉलेजों में दिल्ली सरकार के स्कूलों के छात्रों के लिए 85 प्रतिशत आरक्षण की मांग की, जो पूरी तरह से राज्य सरकार की तरफ से वित्त पोषित हैं.
"हमारा फंडिंग, हमारी सीटें" और "एसओएल में सरकारी स्कूल के छात्रों को न डालो" जैसे नारों वाले पोस्टर लेकर छात्र कुलपति कार्यालय के बाहर अपनी मांगें उठाते हुए एकत्र हुए. छात्र संगठन की तरफ से कहा गया कि हर साल लाखों छात्र दिल्ली के स्कूलों, विशेषकर दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों से पास होते हैं. ये छात्र ज्यादातर वंचित वर्गों से और अपने परिवारों के प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं. हालांकि, बहुत कम ही दिल्ली में उच्च शिक्षा संस्थानों, विशेषकर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने में सक्षम होते हैं. क्योंकि अधिकांश सीटें दिल्ली के निजी स्कूलों के साथ-साथ दिल्ली सरकार की तरफ से फंडेड कॉलेजों सहित अन्य राज्यों के निजी स्कूलों के छात्रों द्वारा हड़प ली जाती हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा दिसंबर 2023 में गठित श्री प्रकाश सिंह समिति के अनुसार 12 कॉलेज विशेष रूप से दिल्ली के छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित किए गए थे और इसलिए ये 100 प्रतिशत दिल्ली सरकार की तरफ से फंडेड हैं. ये 12 कॉलेज दिल्ली के करदाताओं के पैसे से चलाए जा रहे हैं. हम मांग करते हैं कि ये दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज दिल्ली सरकार के स्कूल के छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करें.
बढ़ाई जाए सीटों की संख्या
छात्रों ने मांग की है कि 12 कॉलेजों में दिल्ली सरकार के स्कूल के छात्रों के लिए 85 प्रतिशत सीटों का आरक्षण किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी मांग की है कि सभी दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में शाम की कक्षाएं शुरू की जानी चाहिए और दिल्ली विश्वविद्यालय में सीटों की कुल संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.
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