DU Reopens Hostels: दिल्ली यूनिवर्सिटी नये नियमों के साथ हॉस्टल फिर से खोलने पर विचार कर रही है. फिलहाल हॉस्टल सुविधा केवल पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए है. इसके साथ ही वे फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स जिन्हें अपना रूम खाली करना है उन्हें भी प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. हालांकि यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में प्रवेश से लेकर वहां रहने तक के अपने नियम हैं जिन्हें कैंडिडेट्स को फॉलो करना होगा. स्टूडेंट्स एक-एक करके वापस आ सकते हैं. पहली वरीयता सीनियर पीएचडी स्टूडेंट्स को दी जाएगी, उसके बाद दूसरे पीएचडी स्टूडेंट्स का नंबर आएगा.
चार्जेस होंगे आधे –
यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल्स से आग्रह किया है कि वे स्टूडेंट से इस समय पहले की तरह फीस चार्ज न करें और कई सारे शुल्कों में कटौती की बात कही है. इसके तहत मेस का चार्ज न लेने और इलेक्ट्रीसिटी तथा वॉटर चार्जेस का केवल 50 परसेंट लेने का नियम बनाया गया है. अभी कॉमन रूम और जिम जैसी जगहें नहीं खुलेंगी और किसी भी स्थिति में स्टूडेंट्स को हॉस्टल से बाहर जाने की परमीशन नहीं मिलेगी. केवल मेडिकल इमरजेंसी होने पर ही वे हॉस्टल से बाहर जा सकते हैं. यही नहीं यूनिवर्सिटी इस बारे में भी विचार कर रही है कि स्टूडेंट्स का मोराल बढ़ाने और उनकी कंडीशन जानने के लिए कम से कम अथॉरिटी के एक व्यक्ति को उनसे संपर्क रखना होगा. इसके लिए क्या तरीका अपनाया जाए इस पर विचार हो रहा है.
स्टूडेंट्स को रहना होगा क्वेरेंटीन –
यूनिवर्सिटी ने नये नियम के अंतर्गत यह अनिवार्य किया है कि अपने घरों से आने के बाद हर स्टूडेंट को कम से कम 14 दिन के लिए क्वेरेंटीन पीरियड में रहना होगा. इसके लिए उनका हॉस्टल रूम ही चुना गया है जहां वे सेल्फ-क्वेरेंटीन होंगे. इस पीरियड के बीतने के बाद उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी. यह स्क्रीनिंग डब्ल्यूयूएस हेल्थ सेंटर द्वारा की जाएगी. यही नहीं इस पीरियड के पास हो जाने के बाद ही वे लैब में रिसर्च के लिए जा सकते हैं. कैंडिडेट्स को यह भी इंश्योर करना होगा कि वे केवल अपने लैब का ही दौरा कर रहे हैं. इस बाबत उन्हें पत्र देना होगा. कुल मिलाकर पूरी सावधानी रखकर यूनिवर्सिटी हॉस्टल खोलेगी.
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