आजकल लड़कियां हर उस क्षेत्र में अपने पंख पसार रही हैं जहां पहले सिर्फ लड़कों का बोलबाला रहता था. कई फील्ड्स तो ऐसी हैं जहां एंट्री मिलने के बाद लड़कियां, लड़कों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. इसी क्रम में यूपी के हाथरस जिले की देवांशी का नाम शामिल हुआ है. देवांशी ने एक ऐसे अलग करियर ऑप्शन को चुना जिसमें लड़कियां बहुत कम एडमिशन लेती हैं. शायद इसी वजह से देवांशी ने जहां से ये डिग्री ली वहां से ये कोर्स करने वाली वे एकमात्र छात्रा रही. अब वे चालक रहित गाड़ी बनाना चाहती हैं.


कहां की हैं देवांशी 


देवांशी बंसल मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सादाबाद नगर की हैं. देवांशी शुरू से ही होनहार थी और कुछ अलग हटकर करियर बनाना चाहती थी. इसी क्रम में उन्होंने बारहवीं पास करने के बाद पहले वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बैचलर्स की डिग्री ली और आगे की पढ़ाई के लिए विदेश का रुख किया.


नीदरलैंड की इस यूनिवर्सिटी से ली मास्टर्स की डिग्री


एक रिपोर्ट के अनुसार बैचलर्स पूरा करने के बाद देवांशी ने नीदरलैंड की आइंटहॉवन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी में मास्टर्स की डिग्री ली. बैचलर कोर्स करते हुए ही देवांशी का चयन मास्टर्स डिग्री के लिए हो गया था. देवांशी के पिताजी देवेंद्र बंसल बिजनेसमैन हैं और माताजी निधि अग्रवाल हाउसवाइफ हैं. देवांशी की मां ने बताया कि उन्हें हमेशा से इस फील्ड में इंट्रेस्ट था जबकि बहुत कम लड़कियां ही ये क्षेत्र चुनती हैं.


बनाना चाहती हैं चालक रहित गाड़ी


देवांशी आइंटहॉवन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी में मास्टर्स की डिग्री लेने वाली एकमात्र छात्रा हैं. अब वे चालक रहित गाड़ी बनाना चाहती हैं. उन्होंने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है. इस क्षेत्र में पढ़ाई करने से देवांशी को मदद तो मिल ही रही है साथ ही उनका जज्बा भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रेरित करता है.


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