NCERT रिपोर्ट से खुलासा- 81 फीसदी स्कूली छात्रों में चिंता के मुख्य कारण हैं एग्जाम और रिजल्ट
NCERT Survey: मिडल और सेकंडरी लेवल पर भारत में 81 प्रतिशत से अधिक स्कूली छात्रों के लिए पढ़ाई, परीक्षा और उसका रिजल्ट चिंता का सबसे बड़ा कारण हैं.
NCERT Survey: हमारे देश में छात्रो के ऊपर परीक्षा के दौरान दबाव और तनाव तो रहता ही है लेकिन परीक्षा देने के बाद का समय उनके लिए बहुत मुश्किल भरा हो सकता है. परीक्षा देने के बाद बच्चे लंबे समय तक परीक्षा के परिणाम का इंतजार करते हैं और इस दौरान उनके मन में तरह-तरह के सवाल पैदा होते हैं. रिजल्ट आने के बाद अगर परिणाम ठीक नहीं रहा तो यह तनाव की समस्या कई छात्रों पर बहुत हावी हो जाती है. ऐसे ही एक मामला बुधवार को देर रात नीट का रिजल्ट आया और एक बार फिर तनाव में आकर एक छात्रा ने खुद की जान दे दी. ऐसे ही कई मामले आए दिन आते रहते हैं. लेकिन इस मेंटल स्ट्रेस को लेकर कोई बात करता है.
81 प्रतिशत छात्रों में चिंता का मुख्य कारण एग्जाम और रिजल्ट
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) द्वारा मेंटल हेल्थ को लेकर किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि सर्वे मध्य स्तर (छठी से आठवीं) और माध्यमिक स्तर (नौवीं से 12वीं कक्षा तक) के छात्र-छात्रों पर किया गया है जिसमें 73 फीसदी बच्चे स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं, जबकि 45 फीसदी शारीरिक छवि को लेकर तनाव में हैं. 81 प्रतिशत से अधिक स्कूली छात्रों के लिए पढ़ाई, परीक्षा और उसका रिजल्ट चिंता का सबसे बड़ा कारण हैं. NCERT के मनोदर्पण सेल द्वारा किए गए एक मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार, छात्रों के बीच चिंता का सबसे अधिक कारण स्टडी (50 फीसदी) के बाद परीक्षा और रिजल्ट (31 प्रतिशत) के रूप में बताया.
36 प्रतिशत समाज के प्रेशर
एनसीईआरटी ने 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 3.79 लाख छात्रों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया. कुल छात्रों में से 36 प्रतिशत ने कहा कि वे सामाजिक स्वीकृति (समाज में स्वीकारे जाने के लिए) के लिए पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. वहीं, 33 फीसदी छात्र साथियों के प्रेशर के चलते पढ़ाई का लोड लेते हैं. ये दोनों ही फैक्टर्स छात्रों की मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहे हैं.
पर्सनल लाइफ में गिरावट
सर्वे में ये बताया गया है कि छात्र जब मिडल कक्षा से सेकंडरी कक्षा में गए, तो पर्सनल और स्कूली जीवन संबंधी संतुष्टि में गिरावट पाई गई. वहीं, सेकंडरी लेवल पर पहुंचने के बाद छात्रों में आइडेंटिटी क्राइसिस, रिश्तों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता, समकक्षों के दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर, भविष्य में एडमिशन को लेकर चिंता और अनिश्चितता जैसी चुनौतियां देखने को मिलीं. इस सर्वे में कक्षा 6 से 12 तक के छात्र शामिल थे. सर्वे में शामिल होने वाले छात्रों में से 1,58,581 छात्र मिडल लेवल के थे, जबकि 2,21,261 छात्र सेकंडरी लेवल के थे. सर्वे में प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूलों के छात्रों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं.
जिन लोगों का IQ Level ज्यादा होता है वो करते क्या हैं? और दूसरों से अलग क्यों होते हैं!
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI