अब यूनिवर्सिटी दाखिले में प्रोफेशनल अनुभव को मिलेगी तरजीह, पढ़ें डिटेल्स
अब कार्य अनुभव का लाभ विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में दाखिले के समय काम आएगा. आइए जानते है किस तरह ये फायदेमंद साबित होगा.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग देशभर के विश्वविद्यालयों के स्नातक (UG) और पोस्ट ग्रेजुएट (PG) कोर्स के दाखिले में एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. अब विश्वविद्यालयों के कोर्स के दाखिले में आपके काम के अनुभवों को प्रिफरेंस मिलेगा. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए आपको क्रेडिट भी मिलेंगे.
दाखिले में कोर्स की अवधि भी कम हो जाएगी और आप यह कोर्स कम समय में भी पूरा कर सकेंगे. साथ ही कोर्स की फीस भी कम होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने Recognition of Prior Learning Regulation का ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे विश्वविद्यालय में लागू किया जाएगा.
विश्वविद्यालयों के UG व PG दाखिले में मिलेगा क्रेडिट
यूजीसी चेयरमैन प्रो जगदीश कुमार के अनुसार इस योजना का लाभ लेने के लिए बकायदा दाखिला लेने वाले व्यक्ति को अपने अनुभवों को साबित करना होगा. इसके लिए अपना Portfolio बनाना होगा. कैंडिडेट का टेस्ट व इंटरव्यू भी होगा. किसी भी रेगुलर कोर्स मसलन अंडर ग्रेजुएट कोर्स के पहले साल के 40 क्रेडिट होंगे. एक अंडर ग्रेजुएट कोर्स 120 क्रेडिट का होता है.
इसमें 70 फीसद क्रेडिट रेगुलर कोर्स के रहेंगे और पूर्व अनुभवों को 30 फीसद तक weightage (महत्व) दी जा सकती है. इसी तरह अंडर ग्रेजुएट कोर्स में रेगुलर कोर्स के 84 क्रेडिट और पूर्व अनुभवों के 36 क्रेडिट दिये जा सकते हैं. चार साल का अंडर ग्रेजुएट कोर्स 160 क्रेडिट का होता है. इसी प्रकार यदि पूर्व अनुभवों को जोड़ दिया जाए तो रेगुलर कोर्स में छात्र को 112 क्रेडिट लेना होगा और पूर्व अनुभवों के लिए उसे 48 क्रेडिट मिल सकता है.
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एक उदाहरण से ऐसे समझें
एक नर्स जिसने नर्सिंग में डिप्लोमा किया है और वह विश्वविद्यालय में बीएससी नर्सिंग में दाखिला लेना चाहती है तो उसे अपना डिप्लोमा, कोर्स का ब्योरा व इम्लायर से एक पत्र देना होगा, जिसमें उसके काम व अनुभवों के बारे में विस्तृत जानकारी होगी. उसके डिप्लोमा करिकुलम को बीएससी नर्सिंग कोर्स से मैच करके देखा जाएगा.
मूल्यांकन केन्द्र उसकी लिखित परीक्षा व व्यावहारिक मूल्यांकन करेगा. मूल्यांकन के बाद तय किया जाएगा कि उसको कितना क्रेडिट मिल सकता है. नर्स को जितने भी क्रेडिट मिलेंगे, उन क्रेडिट को बीएससी नर्सिंग कोर्स से घटा दिया जाएगा. इससे कोर्स की अवधि भी कम हो जाएगी.
इसी तरह एक व्यवसायी जो MBA (एमबीए) करना चाहता है, वह अपने व्यवसाय के दौरान प्राप्त अनुभवों को साबित करके व मूल्यांकन से एमबीए में दाखिला ले सकता है. इससे उसके कोर्स की फीस भी कम हो सकेगी.
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