चार वर्षीय कोर्स के फायदे ज्यादा नुकसान कम, यह कोर्स छात्रों को देगा बेहतर भविष्य
UGC: यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार (M. Jagdish Kumar, UGC Chairman) ने बुधवार को था कहा कि चार वर्षीय ग्रेजुएट कोर्स करने वाले छात्र सीधे पीएचडी कर पाएंगे.
यूजीसी ने हाल ही में एनईपी 2020 पैटर्न पर आए नए कोर्स को लागू करने की घोषणा कर दी है. इसके चलते कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में कोर्स स्ट्रक्चर डेवेलप किए जा रहे हैं. जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही हर चीज के फायदे और नुकसान भी होते हैं. अलग-अलग विशेषज्ञों की नजर से इस कोर्स के फायदे नुकसान भी अलग-अलग हैं. आजादी के बाद से प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक ब्रिटिश कालीन शिक्षा का पैटर्न ही नजर आता था. लेकिन हालिया सरकार ने कोर्स को हल्का, अच्छा और जॉब ओरिएंटेड बनाने के लिहाज से इसमें परिवर्तन कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की है. जिसकी तैयारी विश्वविद्यालयों में चल रही है. विशेषज्ञ बदली हुई नीतियों को अपने-अपने नजरिए से देखते हैं. मंगलायतन विश्वविद्यालय, जबलपुर के वाइस-चांसलर को इसमें फायदे ज्यादा और नुकसान कम नजर आते हैं. आइए जानते हैं उनकी राय.....
मंगलायतन यूनिवर्सिटी, जबलपुर के वाइस-चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) ए.के. मिश्रा बताते हैं कि देश में लागू हो रही नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के लिए बेहतर भविष्य लेकर आई है. इस एक कोर्स में विद्यार्थियों को बहुत सारे ऑप्शन मिल रहे हैं और ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक कोर्स आप करें तो उससे आपको सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री और शोध अपने तरीके से आप ईयर वाइज कर पाएं. लेकिन इस अंडर ग्रेजुएट कोर्स में आप समय अनुसार सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री और शोध चुन सकते हैं. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि अगर किसी छात्र पर समय या पैसे का अभाव है तो वह एक वर्ष का कोर्स कर के सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन पहले की शिक्षा प्रणाली में अगर एक साल के बाद विद्यार्थी घर बैठता है तो उसकी मेहनत, समय और पैसा सभी बेकार चला जाता था. लेकिन इस प्रणाली में आप किसी भी वर्ष में कोर्स को छोड़े आपको कोई न कोई प्रमाण पत्र मिलेगा ही.
लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) ए.के. मिश्रा
(वाइस-चांसलर, मंगलायतन यूनिवर्सिटी, जबलपुर)
समय और पैसे की बचत
लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) ए.के. मिश्रा ने कहा कि अकादमिक क्षेत्र में जाने वाले विद्यार्थियों के लिए तो ये सोने पर सुहागा है. क्योंकि शोध कार्य के लिए छात्र को दो वर्षीय पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स करना ही पड़ता था. उसके बाद चार से पांच वर्ष उसको शोध कार्य के लिए देने होते हैं. लेकिन चार वर्षीय कोर्स करने के बाद वह शोध के लिए डायरेक्ट अप्लाई कर सकते हैं. इस तरह समय और पैसे दोनों का बचाव होता है. इस कोर्स के अंतिम वर्ष में विषय भी शोध की दृष्टि से रखे जाने का प्रावधान है. इसलिए इसमें समय और पैसे का बहुत फायदा विद्यार्थियों को मिलेगा.
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