देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के घातक होने की वजह से जून-जुलाई में निर्धारित 12वीं की परीक्षा स्थगित कर दी गई थी. 12वीं की लंबित परीक्षा पर अभी तक कोई फाइनल निर्णय नहीं लिया गया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट में आज सीबीएसई और आईसीएसई बोर्डों द्वारा आयोजित की जाने वाली कक्षा 12 की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई होनी है. एडवोकेट ममता शर्मा द्वारा दायर एक याचिका में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) द्वारा आयोजित कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर परिणाम घोषित करने के लिए एक 'ऑब्जेक्टिव मैथडोलॉजी’ तैयार करने के निर्देश भी मांगे  गए हैं. इसके साथ ही शीर्ष अदालत टोनी जोसेफ द्वारा दायर अन्य याचिका पर भी विचार करेगी, जिसमें तर्क दिया गया है कि 12वीं की  परीक्षाओं को रद्द नहीं किया जाना चाहिए.


एजुकेशन एक्सपर्ट्स परीक्षा आयोजित कराने के पक्ष में


गौरतलब है कि एजुकेशन एक्सपर्ट्स और संस्थानों के प्रमुखों का एक बड़ा वर्ग परीक्षा आयोजित करने के पक्ष में है. एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि परीक्षा रद्द नहीं की जानी चाहिए और डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए. वहीं कुछ विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि भले ही कुछ महीनों का इंतजार करना पड़े लेकिन परीक्षा जरूर आयोजित की जानी चाहिए, क्योंकि 12वीं कक्षा की परीक्षा स्कूली शिक्षा का अंत होता है और ये हायर एजुकेशन का आधार भी बनती है. वहीं कुछ को यह भी लगता है कि  बोर्ड परीक्षा के बिना छात्र पढ़ाई को गंभीरता से नहीं ले सकते.


इन सबके बीच सवाल ये उठता है कि अगर परीक्षा आयोजित की जाती हैं को छात्रों के सामने एग्जाम के क्या-क्या विकल्प हैं और  मान लिया जाए कि परीक्षा रद्द कर दी जाती है तो 12वीं के स्टूडेंट्स का मूल्यांकन किस आधार पर किया जाएगा?


सीबीएसई ने परीक्षा आयोजित करने को लेकर दिए थे 2 विकल्प


सबसे पहले बता दें कि 23 मई को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई हाईलेवल मीटिंग के दौरान सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा आयोजित कराने को लेकर दो विकल्प प्रस्तावित किए थे- पहला नोटिफाइड सेंटर्स पर 19 'प्रमुख' विषयों के लिए रेग्यूलर परीक्षा आयोजित करना और दूसरा संबंधित स्कूलों में शॉर्ट ड्यूरेशन (90 मिनट) की ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा आयोजित करना, जहां छात्रों को 15 जुलाई से 26 अगस्त के बीच नामांकित किया गया था व सितंबर में परिणाम घोषित कर देना है.


 इन ऑप्शन को लेकर केंद्र ने राज्य सरकारों से लिखित में राय भी मांगी थी. वहीं राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र को भेज दिए हैं. सूत्रों की मानें तो अधिकांश राज्यों ने दूसरा विकल्प चुना है जिसमें छात्र के होम स्कूल में प्रमुख विषयों के लिए 90 मिनट की परीक्षा आयोजित करना शामिल था. कुछ राज्यों ने परीक्षा से पहले छात्रों को टीका लगाने पर भी जोर दिया है. इस बीच, सीआईसीएसई बोर्ड ने अपने संबद्ध स्कूलों को 11वीं कक्षा में और इस सेशन के दौरान कक्षा 12 के छात्रों द्वारा प्राप्त औसत अंक जमा करने को कहा है.


वहीं कुछ शिक्षाविदों को लगता है कि परीक्षा रद्द करने की बजाय  ऑनलाइन एग्जाम कराए जाने पर विचार किया जाना चाहिए.


परीक्षा रद्द होने की स्थिति में भी कई विकल्पों पर हो रहा विचार


वहीं अगर 12वीं की परीक्षा रद्द हो जाती है तो इस स्थिति में भी छात्रो के मूल्यांकन के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. इनमें 9वीं 10वीं और 11वीं कक्षा के रिजल्ट के आधाक पर छात्रों का आकलन करने का प्रस्ताव है


हालांकि अभी कुछ भी क्लियर नहीं है और सीबीएसई ने छात्रों और पैरेंट्स से आधिकारिक फैसला आने तक इंतजार करने के लिए कहा है. बहरहाल आज सुप्रीम कोर्ट का रुख अगर 12वीं की परीक्षा को आयोजित करने के पक्ष में रहता है तो उम्मीद है कि 1 जून को परीक्षा का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा. 


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