Possible Obstructions To Clear IAS Prelims Exam:हर सफलता अपने पीछे न जाने कितनी असफलताओं की कहानी समेटे होती है. मंजिल तक पहुंचने के लिये कितनी मेहनत करनी पड़ती है, कितनी गलतियों से सीखना पड़ता है और कितनी बार गिरकर फिर उठना पड़ता है यह वही जानता है जिसने यह संघर्ष किया है. इस सफर में पड़ाव तक पहुंचने का आनंद पर वही ले पाते हैं जो अपनी गलतियां जान जाते हैं और उनसे सीखते हैं. यही बात यूपीएससी की परीक्षा पर भी लागू होती है. जहां सही करना जितना जरूरी है उससे भी जरूरी है गलत को एवॉएड करना. आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा पहली मंजिल है जिसे पार करना इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस में जाने का रास्ता खोलती है. कई बार पर्याप्त मेहनत और निश्चय के बावजूद सफलता नहीं मिलती. कुछ गलतियां कैंडिडेट्स से हो ही जाती हैं. वैसे तो इन गलतियों का दायरा काफी बड़ा है पर आज हम आपसे साझा करेंगे कुछ बिंदु जिनसे पार पाने पर ही आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं.
टाइम मैनेजमेंट
यूपीएससी की इस परीक्षा का कोर्स इतना विस्तृत होता है मानो सागर का पानी, अंत ही नहीं दिखता. इतनी सारी किताबें या स्टडी मैटीरियल को समय के अंदर खत्म करना नामुमकिन सा लगता है. और अगर कुछ भी छोड़ दो तो उस सेक्शन से प्रश्न आने पर समस्या हो सकती है. इन्हीं कारणों से इस परीक्षा की तैयारी के लिये समयबद्ध तरीके से काम करना बहुत जरूरी है. इसलिए टाइम मैनेजमेंट सीखें. किसी सेक्शन को उसके महत्व के हिसाब से कितना समय देना है, किस समय के अंदर खत्म करना है जैसी छोटी पर जरूरी बातों का ध्यान रखें. यहां तक की आईएएस पास कई कैंडिडेट्स का तो यह सुझाव है कि कोर्स की विशालता को देखते हुये कैंडिडेट्स को प्री और मेन्स परीक्षा दोनों की तैयारी साथ ही शुरू कर देनी चाहिए. प्री के बाद मेन्स के लिए इतना समय नहीं होता कि उसमें सबकुछ किया जा सके. टाइम मैनेजमेंट न होना असफल होने का एक बड़ा कारक साबित होता है, इससे बचें.
रिवीजन
जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं आईएएस परीक्षा का कोर्स बहुत अधिक है इसलिये रिवीजन में भी समय लगता है. कैंडिडेट्स मुख्य तैयारी में ही इतना समय गंवा चुके होते हैं कि रिवीजन के लिए समय ही नहीं निकाल पाते. यह याद रखें कि बिना रिवीज़न के आपकी सारी पुरानी तैयारी व्यर्थ है क्योंकि आप कोई रोबोट नहीं जिसने एक बार सब पढ़कर दिमाग में फीड कर लिया. कई बार देखा गया है कि कैंडिडेट्स की शुरुआत अच्छी होती है पर एंड तक आते-आते समय प्रबंधन गड़बड़ा जाता है जिससे रिवीज़न ठीक से नहीं हो पाता और पिछली तैयारी पर पानी फिर जाता है. इसलिए रिवीज़न के लिये पर्याप्त समय निकालकर चलें.
टेस्ट
कुछ कैंडिडेट्स यह मानकर चलते हैं खासकर प्री परीक्षा के लिये कि अगर आता होगा तो सारे प्रश्न हल कर ही लेंगे इसलिए ज्यादा जरूरी है कि वे दिन-रात बस पढ़ते रहें. यह रवैया घातक सिद्ध हो सकता है. इस परीक्षा का कोर्स बहुत है पर प्रश्नपत्र में सीमित प्रश्न ही आते हैं इसलिये एक समय के बाद टेस्ट देना शुरू कर दें. इससे आपको परीक्षा के विषय में अंदाजा मिलेगा. एक बहुत अच्छा तरीका है पिछले साल के प्रश्न-पत्रों को जितना हो सके हल करना. जब आप ऐसा नहीं करते तो प्री परीक्षा में फेल होने के लिए ग्राउंड आप खुद ही तैयार कर लेते हैं.
समसामयिक घटनाओं पर नहीं रखते पैनी नजर
करेंट अफेयर्स को नेगलेक्ट करना भी असफल होने का एक बड़ा कारण है. इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है नियमित रूप से अखबार पढ़ना और समाचार सुनना. प्री परीक्षा का एक बड़ा भाग इसी तरह के प्रश्नों पर आधारित होता है. इसे पक्का करके आधी जंग जीती जा सकती है. जिन्हें लगता है कि यह समय की बर्बादी है और केवल किताबें व अन्य स्टडी मैटीरियल ही सफलता के लिये काफी है उन्हें भी परीक्षा के समय दिक्कत पेश आती है. समय निकालकर कोई स्तरीय न्यूज़ पेपर रोज़ पढ़ें और खासकर उनके एडिटोरियल्स को जरूर देखें जिसमें देश-दुनिया के गंभीर मुद्दों पर जानकार लोगों की राय जानने को मिलती है. यह आदत आपको आगे चलकर साक्षात्कार के समय भी बहुत काम आएगी.
गलत अप्रोच दिलाती है असफलता
पहले के समय में आईएएस परीक्षाओं को पास करने के लिए जितनी अधिक लर्निंग और राइटिंग एबिलिटीज़ मैटर करती थीं, अब नहीं करतीं. पिछले कई सालों से देखा जा रहा है कि यह परीक्षा भी एक प्रकार का एप्टीट्यूड टेस्ट जैसी हो गयी है. इसे पास करने के लिये सही अप्रोच का होना बहुत जरूरी है. अब केवल रट्टू तोता बनने से काम नहीं चलता. इसी प्रकार हर किसी की अपनी स्ट्रैटजी होती है. गलत एनालिसेस और गलत स्ट्रैटजी भी आपको असफल बना सकती है. इसलिए अपनी क्षमताओं के अनुसार अपने लिए चीज़ें प्लान करें और उन्हीं के अनुरूप कार्य करें. केवल एक बात दिमाग में रखें कि यह परीक्षा ऐसी नहीं जिसे पास करने के लिए कोई शॉर्ट कट काम आए. जमकर मेहनत, अनुशासित जीवन, समय प्रबंधन जैसे गुण न होने पर इस परीक्षा में सफल होना नामुमकिन होता है.
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