First Engineering College of Asia: आज के समय में देश में बहुत से इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, पूरे एशिया की बात करें तो यहां हजारों की संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज मौजूद हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एशिया का पहले इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम क्या था और आज वह कहां स्थित है? यदि आप को इस सवाल का जवाब नहीं पता है तो आज हम आपको बताएंगे. आइए जानते हैं, एशिया का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज किस जगह खुला था.


बीते कई सालों में इंजीनियरिंग क्षेत्र ने देश ही नहीं दुनिया में एक नया बूम ला दिया है. आज के समय में इंजीनियरों ने हैरतअंगेज काम किए हैं. चाहे फिर वह सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग आदि कोई भी फील्ड हो. इंजीनियरों के कारनामों के चलते रोजमर्रा की जिंदगी भी काफी सुविधाजनक हो गई है. देश के ही जम्मू कश्मीर में चिनाब ब्रिज बनाया गया है, जो अद्भुत इंजीनियरिंग की गवई दे रहा है.


क्या था कॉलेज का नाम


अब बात करते हैं एशिया के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज की. एशिया का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही खुला था. जो कि साल 1847 में स्थापित किया गया था. कॉलेज की स्थापना 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' के रूप में हुई थी. इस कॉलेज को आज के समय में विश्व प्रसिद्ध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की यानी आईआईटी रुड़की के रूप में जाना जाता है. इस कॉलेज ने दुनिया भर को काफी बड़ी संख्या में इंजीनियर दिए हैं.


लाखों छात्र देते हैं परीक्षा


आईआईटी की तैयारी करने वाले छात्रों का सपना होता है कि उन्हें आईआईटी रुड़की में दाखिला मिल जाए. आईआईटी रुड़की सहित अन्य आईआईटी में दाखिला लेने के लिए हर साल लाखों की संख्या में छात्र-छात्राएं आईआईटी जेईई परीक्षा में शामिल होते हैं. लेकिन कुछ ही विद्यार्थियों की इस परीक्षा में सफलता मिल पाती है.


शानदार पैकेज वाली जॉब 


आईआईटी रुड़की से पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को शनदार पैकेज वाली जॉब मिलती है. यहां के छात्र-छात्राएं अपने स्टार्ट अप भी शूरू करते हैं और लाखों-करोड़ो रुपये कमाते हैं.


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