All India Survey on Higher Education (AISHE). उच्च शिक्षा में भी अब लड़कियों का दबदबा कायम हो रहा है. पहली बार देश में अंडरग्रेजुएट दाखिले में लड़के और लड़कियों के बीच जेंडर गैप लगभग भरता हुआ दिखाई दे रहा है. अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) के मुताबिक पिछले पांच साल तक B.Com में 100 लड़कों पर 90 लड़कियां B.Com में दाखिला लेती थीं लेकिन 2019-20 में यह आंकड़ा सौ पर सौ हो गया. 2019—20 में 41.6 लाख विद्यार्थियों ने B.Com में दाखिला लिया. इनमें से 20.3 लाख लड़कियां थीं जबकि 21.3 लाख लड़के थे. 


5 साल में ऑवरऑल लड़कियों का दाखिला कई गुना बढ़ा 
पिछले पांच सालों में B.Com ही ऐसा स्ट्रीम था जहां लड़कियों की भागीदारी कम थी. B.Sc और MBBS में 2017-18 से ही जेंडर गैप लगभग खत्म हो चुका था. इस साल रही सही कसर B.Com में पूरा हो गई. 2017-18 में B.Sc में प्रति सौ छात्र पर सौ छात्राएं थी जबकि अंडरग्रेजुएट मेडिसीन में 100 लड़कों पर 101 लड़कियां दाखिल थीं. सिर्फ दो साल के अंदर में B.Sc में सौ छात्र पर 113 छात्राएं जबकि सौ एमबीबीएस छात्र पर 110 छात्राएं हो गईं. कई कोर्सों में जहां छात्र स्टूडेंटों की संख्या ज्यादा होती थी, वहां लड़कियों का अब दबदबा हो चुका है. कुल मिलाकर सभी कोर्सों में 2015-2016 में जहां सौ छात्रों पर 86 छात्राएं हुआ करती थीं वहीं 2019-20 में सौ छात्रों पर अब 96 लड़कियां हो गई हैं. 


तकनीकी क्षेत्र में अब भी लड़कियां कम
कई कोर्सों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है लेकिन तकनीकी क्षेत्र में आज भी लड़कियों की भागीदारी बहुत कम है. बीटेक प्रोग्राम में प्रत्येक साल सौ लड़कों पर सिर्फ 42 लड़कियां ही दाखिला लेती हैं. वहीं अंडरग्रेजुएट लॉ प्रोग्राम में प्रति सौ छात्रों पर 53 लड़कियां एडमिशन लेती हैं. 


इंजीनियरिंग में छात्रों की रुचि घटी 
2019-20 में उच्च शिक्षा में कुल दाखिला 3.85 करोड़ रहा जबकि 2018-19 में कुल दाखिला 3.74 करोड़ था. एक साल उच्च शिक्षा में 11.36 लाख ज्यादा एडमिशन हुए. यानी एक साल में 3.04 प्रतिशत की वृद्धि. उच्च शिक्षा में दाखिल 3.85 करोड़ स्टूडेंट्स में से 79.5 प्रतिशत यानी 3.06 करोड़ स्टूडेंट्स अंडरग्रेजुएट कोर्स में दाखिल हुए. इसके बाद 43.1 लाख स्टूडेंट मास्टर डिग्री में जबकि 2.02 लाख स्टूडेंट्स पीएचडी के लिए इनरौल हुए. इस तरह 11.2 प्रतिशत स्टूडेंट्स मास्टर कोर्स में दाखिला लिया. इंजीनियरिंग को छोड़कर सभी क्षेत्रों में स्टूडेंट्स के दाखिले में वृद्धि हुई. इंजीनियरिंग में पिछले साल की तुलना में इस साल 1.25 लाख छात्रों ने कम एडमिशन लिया. पिछले साल 38.5 लाख छात्रों ने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था जबकि इस साल 37.2 लाख छात्रों ने दाखिला लिया. 


राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या में वृद्धि 
अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) रिपोर्ट 2019-20 के मुताबिक, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (INIs) की संख्या पिछले पांच सालों में 80 प्रतिशत बढ़ी है. साल 2015 में आईएनआई की संख्या केवल 75 थी जो बढ़कर 2020 में 135 हो गई है. यही नहीं, रिपोर्ट में पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में पीएचडी करने वालों की संख्या में भी 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’) ने एआईएसएचई रिपोर्ट 2019-20 पर खुशी जाहिर करते हुए ट्विट किया कि, “मुझे उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2019-20 रिपोर्ट जारी करने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. जैसा कि आप देख सकते हैं, हमने जीईआर (GER), जेंडर पैरिटी इंडेक्स में सुधार किया है. इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपोर्टेंस की संख्या में 80% (2015 में 75 से 2020 में 135 तक) की बढ़ोत्तरी हुई है.


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