नई दिल्ली. कोरोना महामारी के कारण बदलते परिवेश में ई-लर्निंग, फ्रीलासिंग, वर्क फ्रॉम होम और डिजिटल सेवाएं आम जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं. हालांकि इस महामारी के दौर में बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार भी हुए हैं. ऐसे में ऑनलाइन माध्यम द्वारा ही आप फ्रीलांस नौकरी ढूंढ सकते हैं. अपनी स्किल को बेहतर कर सकते हैं. ऐसे समय में इन सभी को साथ जोड़ कर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने एवं रोजगार के नए अवसर सृजित करने का कार्य राइटर्स कम्यूनिटी द्वारा किया जा रहा है.
बिहार के दो युवाओं अंकित कुमार तथा शान्या दास द्वारा स्थापित राइटर्स कम्यूनिटी बनी तो लेखकों के लिए थी लेकिन स्थापना के तुरंत बाद लॉकडाउन शुरू होने के कारण रोजगार सृजन मुख्य अब संस्था का मुख्य उद्देश्य बन गया है. रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए राइटर्स कम्यूनिटी के संस्थापक अंकित देव अर्पण ने शान्या दास के साथ मिल कर पहले कुछ पुस्तक प्रकाशकों के साथ संपर्क किया, आशातीत सफलता नहीं मिलने पर इन दोनों ने इमबाइब, अनएकेडेमी, ब्रेनली, ऑफिसियल फैक्ट्री तथा परीक्षा अड्डा जैसी संस्थाओं के साथ संपर्क स्थापित किया और उनके प्रतियोगी पुस्तकों पर कार्य आरंभ किया. स्थापना के बाद लगभग डेढ़ वर्षों में कम्यूनिटी ने 45 हजार से अधिक प्रश्नों, 25 से अधिक पुस्तकों के निर्माण का, 40 से अधिक पुस्तकों के अनुवाद का और 18 पुस्तकों की प्रूफ एडिटिंग की है.
इसके साथ ही 2 लोगों से आरंभ होकर 300 से अधिक लोगों के समूह के रूप में स्थापित राइटर्स कम्यूनिटी ने डाटा एंट्री, रिसर्च, प्रेस विज्ञप्ति लेखन तथा अन्य डिजिटल प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया है. 21 वर्ष से कम उम्र के युवाओं द्वारा स्थापित यह कम्यूनिटी अब तक 100 से अधिक लोगों को घर बैठे रोजगार प्रदान करने में सफल रही है. राइटर्स कम्यूनिटी के संस्थापक अंकित कुमार बताते हैं कि पहले एक पब्लिकेशन हाउस में 4000 रुपये मासिक भुगतान पर कार्य करते हुए अपना खर्च निकालते थे, फिर सोशल मीडिया के माध्यम से फ्रीलान्स कार्यों की जानकारी मिली. लेकिन इस क्षेत्र में कई तरह के स्कैम और लेखकों को कम भुगतान देख उन्होंने कुशल लेखकों को मंच प्रदान करने का विचार किया.
हालांकि अंकित कुमार नवोदय विद्यालय के पूर्व छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता एवं विधि अध्ययन के छात्र हैं लेकिन हिंदी में गहरी रुचि के कारण पत्र पत्रिकाओं में उन्होंने लेखन कार्य किया है और अब लेखकों को विशेष मंच प्रदान कर रहे हैं. राइटर्स कम्यूनिटी की सह संस्थापिका शान्या दास भी नवोदय विद्यालय की पूर्व छात्रा हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययनरत शान्या दास ने बताया कि कई शिक्षित छात्राएं,महिलाएं सामाजिक कारणों से घर से बाहर कार्य कर पाने में असमर्थ हैं. ऐसे में उनको एक अवसर प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के एक छोटे प्रयास का नाम राइटर्स कम्यूनिटी है. उन्होंने बताया कि अगर अब इस सामाजिक भेद को समाप्त नहीं किया गया तो कई महिलाएं किरण बेदी, सुचेता कृपलानी एवं प्रतिभा देवी सिंह पाटिल बनने से वंचित रह जाएंगी.
एक वर्ष पूर्व स्थापित राइटर्स कम्यूनिटी सोशल मीडिया पर राइटर्स कम्यूनिटी फ्रीलांसर्स के रूप में उपलब्ध है. हाल में ही राइटर्स कम्यूनिटी ने अंकित देव अर्पण एवं शान्या दास के निर्देशन में परीक्षा अड्डा के साथ मिल कर एक इंटर्नशिप कार्यक्रम का भी आयोजन किया था जिसमें आई आई टी, वनस्थली विद्यापीठ, दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई शीर्ष विश्वविद्यालयों के 25 छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. महामारी के दौर में युवाओं को ट्रेनिंग और रोजगार देने के लिए राइटर्स कम्यूनिटी लगातार काम कर रही है.
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